नई दिल्ली. आज यानि 15 सितम्बर को भारत में इंजीनियर्स डे के तौर पर मनाते हैं. महान भारतीय इंजीनियर और भारत रत्न सर एम विश्वेश्वरय्या की याद में 15 सितंबर को इंजीनियर डे के रुप में मनाया जाता है. आज के ही दिन कर्नाटक के मैसूर में सर एम विश्वेश्वरय्या का जन्म हुआ था. आज की तारीख में आईटी के क्षेत्र में भारत का दबदबा है.
कौन थे एम विश्वेश्वरय्या
एम विश्वेश्वरय्या का जन्म 15 सितंबर 1861 को मैसूर (कर्नाटक) में हुआ था. विश्वेश्वरय्या भारतीय इंजीनियर, विद्वान, राजनेता होने के साथ-साथ 1912 से 1918 तक मैसूर के दीवान भी रह चुके थे. विश्वेश्वरय्या ने पूना के साइंस कॉलेज से इंजीनियरिंग की थी. इसके बाद वो महाराष्ट्र सरकार में नासिक में सहायक इंजीनियर के पद पर नियुक्त हुए.
सर एमवी के नाम से मशहूर विश्वेश्वरय्या के प्रयासों से ही कृष्णराज सागर बांध, भद्रावती आयरन एंड स्टील वर्क्स, मैसूर संदल ऑयल एंड सोप फैक्टरी, मैसूर विश्वविद्यालय, बैंक ऑफ मैसूर का निर्माण हो पाया था.
क्यों माने जाते हैं महान
सर एमवी शिक्षा को बहुत महत्व देते थे उनके मैसूर राज्य के दीवान रहते में स्कूलों की संख्या को 4,500 से बढ़ाकर 10,500 हो गई थी. मैसूर में लड़कियों के लिए अलग हॉस्टल और पहला फर्स्ट ग्रेड कॉलेज (महारानी कॉलेज) खुलवाने का श्रेय भी विश्वेश्वरैया को ही जाता है. उन दिनों मैसूर के सभी कॉलेज मद्रास विश्वविद्यालय से संबद्ध थे.
उनके ही अथक प्रयासों के चलते देश के सबसे पुराने विश्वविद्यालयों में से एक मैसूर विश्वविद्यालय की स्थापना हुई. सर एमवी के कामों को देखते हुए उन्हें 1955 में सर्वोच्च भारतीय सम्मान भारत रत्न से सम्मानित किया गया. सार्वजनिक जीवन में बतौर इंजीनियर उनके योगदान के लिए भारत हर साल उनके जन्मदिन को इंजीनियर डे के रूप में मनाता है.