नई दिल्ली. सुप्रीम कोर्ट ने आवारा कुत्तों के लिए समाज के लिए खतरा बताते हुए कहा है कि आवारा कुत्तों के लिए दया का भाव रखना गलत नहीं है, लेकिन ये समाज के लिए खतरा हैं. कोर्ट ने कहा कि आवारा कुत्तों को समाज के लिए खतरा नहीं बनने दिया जा सकता.
जस्टिस दीपक मिश्रा और यूयू ललित की पीठ ने कहा है कि कोर्ट आवारा कुत्तों की संख्या पर नियंत्रण पाने के लिए भारतीय जीव कल्याण बोर्ड की रिपोर्ट पर सुनवाई करेगा. बता दें कि बोर्ड ने आवारा कुत्तों की संख्या को नियंत्रित करने के लिए एक ढांचा तैयार किया है.
कोर्ट ने कहा कि आवारा कुत्तों के प्रति संवेदनशील होना चाहिए लेकिन इन जानवरों को समाज के लिए खतरा बनने से रोकना भी जरूरी है और ऐसी स्थिति से निपटने के लिए संतुलन बनाने की जरूरत है.
वरिष्ठ एडवोकेट सी ए सुंदरम और एडवोकेट अंजली शर्मा ने कहा है कि संशोधित माड्यूल में रेबीज के खतरे को कम करने के लिए पशु क्रूरता रोकथाम कानून के तहत जीव जन्म नियंत्रण नियम बनाए गए हैं. जिनके आधार पर रेबीज के खतरे को कम करने के लिए काम किया जाएगा. बोर्ड ने कहा है कि एक केंद्रीय समन्वय समिति बनाने की जरूरत है.