Advertisement

बकरीद कल, पढ़ें क्यों दी जाती है इस दिन कुर्बानी

ईद-उल-जुहा (बकरीद) मंगलवार यानी 13 सिंतबर को मनाया जाएगा. त्याग और बलिदान के इस पर्व को मनाने के लिए देशभर में जोरशोर से तैयारियां की जा रही हैं. हालांकि, देश में कुछ जगहों पर आज ही ईद-उल-जुहा मनाया जा रहा है.

Advertisement
  • September 12, 2016 4:36 am Asia/KolkataIST, Updated 8 years ago
नई दिल्ली. ईद-उल-जुहा (बकरीद) मंगलवार यानी 13 सिंतबर को मनाया जाएगा. त्याग और बलिदान के इस पर्व को मनाने के लिए देशभर में जोरशोर से तैयारियां की जा रही हैं. हालांकि, देश में कुछ जगहों पर आज ही ईद-उल-जुहा मनाया जा रहा है. 
 
इनख़बर से जुड़ें | एंड्रॉएड ऐप्प | फेसबुक | ट्विटर
 
मुस्लिमों में हर साल दो तरह की ईद मनाई जाती है. एक मीठी ईद होती है, जिसका संदेश समाज में मिठास और प्यार भरना है. दूसरी बकरीद होती है, जो लोगों को त्याग का संदेश देती है और अपने कर्तव्य का बोध कराती है. 
 
ईद-उल-जुहा का दिन फर्ज-ए-कुर्बानी का दिन माना जाता है. इसके लिए पहले एक बकरे को पालते हैं और जितना संभव हो उसकी देखभाल करते हैं. जब वह बकरा बड़ा हो जाता है तो बकरीद के दिन उसकी कुर्बानी दी जाती है, जिसे फर्ज-ए-कुर्बानी कहते हैं. 
 
क्यों मनाया जाता है ईद-उल-जुहा
 
कुर्बानी के इस त्यौहार के पीछे त्याग और बलिदान की कहानी है. इस्लाम के अनुसार अल्लाह ने हजरत इब्राहिम की परीक्षा लेने के लिए उन्हें अपने सबसे प्यारी चीज की कुर्बानी देने के लिए कहा था. तब हजरत इब्राहिम ने अपने बेटे की कुर्बानी देना स्वीकार किया. 
 
हजरत इब्राहिम को लगा कि कुर्बानी देेते समय बेटे को देखकर कहीं वह भावनाओं में न बह जाएं इसलिए उन्होंने आंखों पर पट्टी बांध ली. जब उन्होंने कुर्बानी देने के बाद आंखें खोलीं तो पाया कि उनका बेटा जिंदा है और बेटे की जगह कटा हुआ दुंबा (सऊदी अरब में पाया जाने वाला जानवर) पड़ा है. तब से इस दिन कुर्बानी देने की प्रथा चलती आ रही है. 

Tags

Advertisement