सिवान : बिहार में आरजेडी के बाहुबली नेता शहाबुद्दीन हत्या के मामले में जमानत पर 13 साल बाद जेल से रिहा हुए हैं. उनकी रिहाई पर बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और आरजेडी सुप्रीमो लालू यादव की जमकर खिंचाई हो रही है.
सांसद रह चुके शहाबुद्दीन की रिहाई पर बिहार में ही नहीं दिल्ली तक चर्चा है. इसकी सबसे बड़ी वजह यह है कि बिहार और उत्तर प्रदेश के पूर्वांचल तक शहाबुद्दीन के खौफ की दस्तां है.
कहा जाता है कि उनके शॉर्प शूटरों से कई बार पुलिस से आमने-सामने मुठभेड़ हुई, गोलियां चलीं लेकिन और उसमें पुलिस के पैर उखड़ गए. कई लोगों ने पुलिस के जवानों को भागते हुए देखा है. बिहार की राजनीति, अपराध और शहाबुद्दीन से जु़ड़ी कुछ ऐसी बाते हैं जिन्हें जानकर आप भी हैरान हो जाएंगे.
1- मोहम्मद शहाबुद्दीन का जन्म 10 मई 1957 को सीवान जिले में हुआ था. छात्र जीवन से ही शहाबुद्दीन अपराध और राजनीति की दुनिया में कदम रखा. उसने राजनीति शास्त्र में पीएचडी की थी.
2- 80 के दशक में उसका नाम ताबड़तोड़ कई अपराधिक मामलों में सामने आया और पुलिस ने उसके खिलाफ हिस्ट्रीशीट खोल दी.
3- आरजेडी सुप्रीमो लालू यादव ने शहाबुद्दीन को छत्र-छाया दी और उसे जनता दल की युवा इकाई में जगह दे दी. 1990 में उसको विधानसभा का टिकट भी मिल गया.
4- इसके बाद उसने अपनी ताकत और दंबगई के बल पूरे सीवान और आसपास के जिलों में अच्छा-खासा दबदबा बना लिया. उसको 1996 में लोकसभा का टिकट दिया गया. बिहार में जब 1997 में लालू यादव की सरकार बनी तो शहाबुद्दीन की ताकत इतनी बढ़ गई कि लोग उसका नाम लेने से कांपने लगे.
5- एक रिपोर्ट की माने तो जिस समय शहाबुद्दीन अपने गुर्गों के बल पर ताबड़तोड़ अपराधिक वारदातों को अंजाम दे रहा था उसको राज्य सरकार संरक्षण दे रही थी. उसका आतंक इतना था कि कोई भी मामले में गवाही देने को तैयार होता था.
6- शहाबुद्दीन अपनी ताकत के नशे में इतना चूर हो गया था कि वह अक्सर पुलिस और प्रशासनिक अधिकारियों से मारपीट करने लगा था. इतना ही नहीं वह पुलिस पर भी गोली चलाने से नहीं चूकता था. ऐसा ही एक घटना उस समय हुई थी जब 2001 में पुलिस ने आरजेडी के राष्ट्रीय अध्यक्ष मनोज कुमार पप्पू एक वारंट तामील करने गई तो शहाबुद्दीन ने साथ पहुंचे पुलिस को अधिकारी को थप्पड़ जड़ दिया.
7- इसी प्रकरण में जब पुलिस शहाबुद्दीन को गिरफ्तार करने के लिए उसके घर में छापा मारा तो इस कार्रवाई में दो पुलिसकर्मियों सहित 10 लोगों की मौत हो गई. मौके से पुलिस को एके-47 भी बरामद हुई थी. शहाबुद्दीन अपने साथियों के साथ भागने में कामयाब हो गया. इस घटना के बाद उसके ऊपर कई मुकदमे दर्ज हो गए.
8- सीवान में तो शहाबुद्दीन एक तरह से समानांतर सत्ता चला रहे थे. वह अदालत भी लगाते थे और वहीं फैसला भी हो जाता था. इतना नहीं वह जिले में डॉक्टरों की फीस भी तय कर देता था.
9- 2004 में संसद सत्र में भाग लेने आए दिल्ली पुलिस ने उन्हें गिरफ्तार कर लिया. उससे पहले सीवान के प्रतापपुर में पुलिस ने छापा मारकर ऐसे हथियार बरामद किए जो सेना के ही पास होते हैं. उनमें लाइट विजन डिवाइस भी था इतना ही नहीं पाकिस्तान की फैक्ट्रियों में बने हथियार भी बरामद हुए.
10- सीवान की फिजाओं में आज भी शहाबुद्दीन टैक्स की यादें ताजा हैं. खाड़ी देशों में कमाने के लिए जाने वालों को शहाबुद्दीन के गुर्गों को ट्रेन में चढ़ने से पहले 200 रुपए देने होते थे. उन गुंडों के पास यात्री का पूरा पता, परिवार की जानकारी सहित ट्रेन और बर्थ तक की सूचना होती थी.
11- सीवान मे साल 2004 में दो भाइयों की तेजाब से नहलाकर हत्या कर दी गई थी. इस कांड का गवाह तीसरा भाई राजेश रौशन था. उसकी भी हत्या कर दी गई थी. इस मामले में शहाबुद्दीन का नाम सामने आया था. इसी मामले में जेल में बंद शहाबुद्दीन को हाइकोर्ट से जमानत मिली है. अब तीनों मतृकों के मां-बाप खौफ में हैं और गुहार लगा रहे हैं.
12- 1999 में सीपीआई (एमएल) के एक कार्यकर्ता की हत्या के मामले में शहाबुद्दीन को 2004 के लोकसभा चुनाव से पहले गिरफ्तार किया गया था. शहाबुद्दीन ने बीमारी का बहाना कर खुद को अस्पताल में शिफ्ट कर लिया और वहीं से वह चुनावी बैठके करना लगा. लेकिन हाइकोर्ट के निर्देश पर उसे फिर से जेल भेज दिया गया. वोटिंग के दौरान शहाबुद्दीन के गुर्गों कई जगहों पर पोलिंग बूथ लूट लिए. दोबारा चुनाव होने पर भी शहाबुद्दीन सांसद बन गया.