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ऑनलाइन पायरेटेड फ़िल्में देखना नहीं है अपराध, बॉम्बे हाई कोर्ट ने किया स्पष्ट

पायरेटेड फ़िल्में उपलब्ध कराने वाली वेब साइट्स पर विजिट करने भर से जेल जाने वाली ख़बरों पर मचे हाहाकार को पूरी तरह खत्म करते हुए बॉम्बे हाई कोर्ट ने स्थिति को स्पष्ट किया है. हाईकोर्ट का इस बारे में कहना है कि ऑनलाइन पायरेटेड फिल्में देखना अपराध नहीं है.

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  • September 7, 2016 12:29 pm Asia/KolkataIST, Updated 8 years ago
मुम्बई. पायरेटेड फ़िल्में उपलब्ध कराने वाली वेब साइट्स पर विजिट करने भर से जेल जाने वाली ख़बरों पर मचे हाहाकार को पूरी तरह खत्म करते हुए बॉम्बे हाई कोर्ट ने स्थिति को स्पष्ट किया है. हाईकोर्ट का इस बारे में कहना है कि ऑनलाइन पायरेटेड फिल्में देखना अपराध नहीं है.
 
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इस बारे में हाईकोर्ट के जज गौतम पटेल ने कहा है कि ‘ऑनलाइन फिल्म को देखना अपराध नहीं माना जा सकता जबकि कॉपीराइट मैटेरियल का बिना इजाजत के वितरण करना अपराध है.  इसके अलावा बिना इजाजत के ऐसी सामग्री का बेचना या खरीदना जरूर अपराध होता है लेकिन देखना नहीं.’ 
 
बता दें कि इंटरनेट सेवा प्रदाताओं की ओर से इस तरह की प्रतिबंधित साइट्स पर एरर सन्देश लगाया गया था कि फिल्मों को देखना, डाउनलोड करना, प्रदर्शित करना दंडनीय अपराध है. स्थिति के स्पष्ट किये जाने के बाद कोर्ट की ओर से इंटरनेट सेवा प्रदाताओं से एरर मैसेज पर दिखने वाली पंक्ति में बदलाव करने के लिए कहा गया है.
 
हाल ही में उड़ता पंजाब, ढिशूम जैसी फ़िल्में ऑनलाइन पायरेसी का शिकार हुई थी जिसके बाद ढिशूम फिल्म के निर्मताओं ने हाई कोर्ट में याचिका दाखिल की थी और कोर्ट ने इंज वेबसाइट्स के यूआएल ब्लॉक करने का आदेश दिया था.

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