चीन की बुलेट ट्रेन से दीपक चौरसिया की स्पेशल रिपोर्ट

हांगझू. हाई स्पीड ट्रेन यानी बुलेट ट्रेन. टेक्निकली इसको हाई स्पीड ट्रेन कहते हैं. 200 किलोमीटर प्रति घंटे से ज्यादा तेज दौड़ने वाली ट्रेन को हाई स्पीड ट्रेन की कैटेगरी में रखा जाता है. दुनिया की पहली हाई स्पीड ट्रेन 1964 में टोक्यो से ओसाका शहर के बीच चली थी.
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इस समय दुनिया के कुल 22 देशों में हाई स्पीड ट्रेन दौड़ रही हैं जिनकी पटरियों की कुल लंबाई 37200 किलोमीटर है. चीन में अकेले 19000 किलोमीटर हाई स्पीड ट्रेन लाइन है. मतलब बाकी दुनिया की कुल हाई स्पीड ट्रेन लाइन से चीन अकेले ज्यादा हाई स्पीड पटरी रखता है.
सबसे ज्यादा रेल लाइन चीन में है जिसकी कुल लंबाई 19000 किलोमीटर है. सबसे कम लंबाई की हाई स्पीड ट्रेन पटरी डेनमार्क में है जहां मात्र 5 किलोमीटर लंबी रेल लाइन ही बनी है. डेनमार्क में 60 किलोमीटर हाई स्पीड ट्रेन पटरी और बिछाई जा रही है. चीन में 18155 किलोमीटर नई हाई स्पीड ट्रेन की रेल लाइन बिछाई जा रही है जो पूरा हो गया तो चीन में कुल 37000 किलोमीटर से ज्यादा लंबी हाई स्पीड ट्रेन लाइन होगी जो इस समय पूरी दुनिया की कुल हाई स्पीड रेल लाइन के अकेले बराबर होगी.
हाई स्पीड ट्रेन लाइन की कुल लंबाई के हिसाब से चीन के बाद स्पेन का नंबर आता है जहां 3100 किलोमीटर लाइन है. तीसरे नंबर पर 2664 किलोमीटर लाइन के साथ जापान, 2037 किलोमीटर लाइन के साथ फ्रांस चौथे नंबर पर और 1706 किलोमीटर लाइन के साथ स्वीडन पांचवें नंबर पर है.
चीन में हाई स्पीड ट्रेन की शुरुआत 18 अप्रैल, 2007 को हुई थी और महज 9 साल में चीन दुनिया का सबसे बड़ा हाई स्पीड ट्रेन देश है जहां सबसे ज्यादा हाई स्पीड ट्रेन दौड़ रही है. 2015 में चीन के हाई स्पीड ट्रेन से 1 अरब 20 करोड़ लोगों ने सफर किया. चीन के 33 प्रांतों में से 28 प्रांत हाई स्पीड ट्रेन नेटवर्क से जुड़े हैं.
चीन में दौड़ने वाली हाई स्पीड ट्रेन में बीजिंग-गुआंगझो हाई स्पीड ट्रेन लाइन दुनिया की सबसे लंबी रेल लाइन है. इस रेल लाइन की लंबाई 2230 किलोमीटर है. इस लाइन पर 350 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से ट्रेन चलती है. 2018 में यह ट्रेन हॉंगकांग को चीन से जोड़ देगी जिसका काम चल रहा है. इस रेल लाइन को बनाने का काम 2005 में शुरू हुआ था.
शंघाई माग्लेव ट्रेन भी खास है जो 431 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से चलती है और मैग्नेटिक लेविएशन सिस्टम पर चलती है. इस ट्रेन को ट्रांसरैपिड भी कहते हैं. 1 जनवरी, 2004 में इस ट्रेन की शुरुआत हुई थी. खास बात ये भी है कि शंघाई मेट्रो सर्विस से अलग शंगाई माग्लेव ट्रेन की सर्विस है. माग्लेव ट्रेन शंघाई एयरपोर्ट से पुडोंग को जोड़ती है जहां लोग शंगाई मेट्रो पकड़ सकते हैं.
शुरू में चीन ने हाई स्पीड ट्रेन बॉम्बार्डियर, सिमेन्स जैसी विदेशी कंपनियों के साथ तकनीक ट्रांसफर एग्रीमेंट के तहत बनाए और चलाए. बाद में चीन ने घर में ही हाई स्पीड ट्रेन बनाना शुरू कर दिया. चीन में हाई स्पीड ट्रेन पर सरकारी विचार 1990 में शुरू हुआ था. रेल मंत्रालय ने उस साल प्रस्ताव रखा कि बीजिंग को शंघाई से हाई स्पीड ट्रेन से जोड़ा जाए. 1994 में इसकी फिजिबलिटी रिपोर्ट बनाने का काम शुरू हुआ.
1993 में चीन में पैसेंजर ट्रेन की एवरेज स्पीड 48 किलोमीटर प्रति घंटे थी और पैसेंजर ट्रेन के बदले हवाई जहाज का रुख कर रहे थे. ऐसी 7700 किलोमीटर रेल लाइन को भी चीन ने 1997 से 2004 के बीच पांच राउंड के स्पीड-अप कैंपेन के बाद 160 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से दौड़ने वाली ट्रेन के लायक बना दिया. ग्वांगझू-शेनज़ेन रेल लाइन पहली रेल लाइन है चीन की जिस पर 200 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से पहली बार 1998 में दौड़ी. अप्रैल, 2007 में स्पीड अप कैंपेन का छठा चरण पूरा हुआ तो चीन में ट्रेन 250 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से दौड़ रही थीं.
दिसंबर, 2014 तक चीन में 1500 से ज्यादा जोड़ी हाई स्पीड ट्रेन दौड़ रही थीं. 2015 में बीजिंग-तियानजिन, शंघाई-नानजिंग, बीजिंग-शंघाई, शंघाई-हांगझू, नानजिंग-हांगझू और ग्वांगझू-शेनेज़न कुल 6 हाई स्पीड रेल लाइन ने मुनाफा रिपोर्ट किया. बीजिंग-शंघाई रेल लाइन का मुनाफा 6.6 अरब युआन था. चीन में हाई स्पीड ट्रेन के मजबूत रेल नेटवर्क का असर हवाई सेवा पर दिखा.
500 से 1000 किलोमीटर तक की यात्रा करने वाले मुसाफिर हवाई जहाज के बदले ट्रेन पकड़ने लगे. 1500 किलोमीटर से लंबी यात्रा में ही पैसेंजर हवाई जहाज की तरफ जाते हैं. हवाई जहाज उड़ाने वाली कंपनियों ने रीजनल फ्लाइट्स बंद कर दिए और किराया काफी कम कर दिया ताकि ट्रेन से कम्पीट कर सके. चीन ने हाई स्पीड रेल नेटवर्क पर करीब 300 अरब डॉलर खर्च किया है. अकेले 2009 में 50 अरब डॉलर खर्च किया गया था.
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