नई दिल्ली. क्या किसी कंपनी या कॉरपोरेट के खिलाफ बयान देने पर आपराधिक मानहानि का मामला बन सकता है? सुप्रीम कोर्ट इस मामले की सुनवाई को तैयार हो गया है.
किसी कंपनी या कॉरपोरेट के खिलाफ बयाने देने पर आपराधिक मामला दर्ज हो सकता है या नहीं. इस मामले पर सुनवाई के लिए सुप्रीम कोर्ट तैयार हो गया है. सुप्रीम कोर्ट ने NGO ग्रीनपीस की प्रिया पिल्लई की याचिका पर केंद्र सरकार को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है.
सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को हुई सुनवाई में कहा कि ये मुद्दा अहम है क्योंकि कंपनी या कॉरपोरेट में भी काम करने वाले लोगों की एक रेप्युटेशन होती है और मानहानि का मुद्दा सीधे-सीधे रेप्युटेशन से जुड़ा है. इसलिए ये तय करना जरूरी है कि कोई कंपनी किसी के खिलाफ मानहानि का मामला दर्ज कर सकती है या नहीं.
दरअसल प्रिया पिल्लई ने मध्यप्रदेश के सिंगरौली में एस्सार कोल ब्लॉक पर बयान दिए थे जिसके बाद कंपनी ने उसके खिलाफ आपराधिक मानहानि का मामला दर्ज कराया था. पिल्लई ने सुप्रीम कोर्ट में कहा कि वो लोगों के अधिकारों के लिए लड़ाई लड़ती है और ऐसे में उसके बोलने की आजादी का अधिकार भी है.
कंपनी चाहे तो उसके खिलाफ सिविल केस कर सकती है लेकिन आपराधिक केस नहीं दर्ज किया जा सकता. हालांकि प्रिया और दो अन्य के खिलाफ मानहानि के मामले को सुप्रीम कोर्ट ने स्टे कर दिया था.