नई दिल्ली : कश्मीर घाटी में जारी हिंसा पर विचार करने के लिए बुलाई गई सर्वदलीय बैठक खत्म हो गई है. बैठक में कांग्रेस नेता अंबिका सोनी, गुलाम नबी आजाद, केंद्रीय मंत्री जितेंद्र सिंह, शरद यादव, रामविलास पासवान, रामगोपाल यादव समेत तमाम दलों के नेता शामिल हुए.
बैठक की अध्यक्षता रहे राजनाथ सिंह ने मीडिया से बातचीत में कहा कि सभी नेताओं ने कश्मीर जारी हिंसा का विरोध का किया है. सबने अपनी-अपनी राय दी है. रविवार को सभी दलों का प्रतिनिधिमंडल श्रीनगर जाएगा और वहां के लोगों से बातचीत करेगा.
वहीं सीपीएम के महासचिव सीताराम येचुरी ने मांग की है कि बातचीत में हुर्रियत को भी बुलाया जाए ताकि संदेश ये जाए कि सभी के लिए बातचीत के रास्ते खुले हैं. वहीं कांग्रेस नेता गुलाम नबी आजाद ने कहा कि बातचीत के रास्ते हमेशा खुले होने चाहिए. भारत की सरकार को जवाबदेही तय करनी चाहिए.
आपको बता दें कि हिजबुल मुजाहिदीन के कमांडर बुरहान वानी के मारे जाने के बाद से पिछले 2 महीने से कश्मीर घाटी के कई जिलों में हिंसा जारी है. जिसकी वजह से कर्फ्यू लगाया गया है. हालात अभी तक सामान्य नहीं हो पाए हैं.
हिंसा की वजह के कई लोगों की जाने भी जा चुकी हैं. वहीं सुरक्षा बलों की ओऱ से पैलट गन के इस्तेमाल का मुद्दा भी इस बीच चर्चा का विषय रहा है. यहां तक कि यह मामला संसद में भी उठाया गया. कश्मीर में हिंसा रोकने के लिए प्रधानमंत्री मोदी सहित कई दलों के नेता कर चुके हैं.
कांग्रेस ने तो इस मामले में केंद्र और राज्य सरकार नाकाम करार दे दिया है. वहीं खूफिया विभाग का दावा है कि घाटी में हिंसा के पीछे पाकिस्तान का हाथ है.
फिलहाल देखने वाली बात यह होगी कि कल यानी 4 अक्टूबर को सभी दलों का प्रतिनिधिमंडल वहां के लोगों को कैसे समझाता है और इसका घाटी में मच रही उथल-पुथल का क्या असर पड़ता है.