नई दिल्ली. सुप्रीम कोर्ट में जजों कि नियुक्ति लटक सकती है. इस बार सुप्रीम कोर्ट और केंद्र आमने सामने नहीं हैं बल्कि सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस जे चेलामेश्वर ने ही कोलेजियम में पारदर्शिता न होने के सवाल उठाते हुए बैठक में शामिल होने से इनकार कर दिया. जस्टिस जे चेलमश्वर खुद भी कोलेजियम के सदस्य हैं.
जस्टिस चेलमश्वर ने आरोप लगाया है कि कोलेजियम की बैठक का ब्यौरा नहीं रखा जाता है. साथ ही कहा है कि कोलेजियम की बैठक में हुई बातों का रिकार्ड उन्हें भेजा जाए और वे उसी पर अपना मत रिकार्ड कर चीफ जस्टिस को भेज देंगे. हालांकि इस दौरान चीफ जस्टिस और बाकी चार वरिष्ठ जज मौजूद रहे.
कोलेजियम की बैठक में केंद्र सरकार के भेजे नए एमओपी पर चर्चा होनी थी लेकिन यह बैठक रद्द कर दी गई. सूत्रों के मुताबिक जस्टिस चेलामेश्वर ने इस बारे में चीफ जस्टिस टीएस ठाकुर को तीन पेज की चिट्ठी भी लिखी है और कोलेजियम में पारदर्शिता न होने की बात कही है.
क्या है कोलेजियम व्यवस्था?
कोलेजियम पांच लोगों का समूह है. इन पांच लोगों में भारत के मुख्य न्यायाधीश और सुप्रीम कोर्ट के चार वरिष्ठ जज हैं. कोलेजियम में जजों के द्वारा जजों की नियुक्ति का अधिकार होता है. इसमें सुप्रीम कोर्ट के पांच वरिष्ठ जजों की कमेटी (कोलेजियम) नियुक्ति व तबादले का फैसला करती है. कोलेजियम की सिफारिश मानना सरकार के लिए जरूरी होता है. यह व्यवस्था 1993 से लागू है. कोलेजियम किसी व्यक्ति के गुण-कौशल के अपने मूल्यांकन के आधार पर नियुक्ति करता है और सरकार उस नियुक्ति को हरी झंडी दे देती है.