नई दिल्ली. श्रमिक संगठनों की आज देशव्यापी हड़ताल से बैंकिंग और यातायात जैसी सेवाएं प्रभावित हो सकती हैं. इस हड़ताल में 10 केंद्रीय श्रमिक संगठनों ने शामिल होने की घोषणा की है. संगठनों का कहना है कि इस बार की हड़ताल पिछले साल की तुलना में कहीं ज्यादा बड़ी होगी. श्रमिक संगठन सरकार के उनकी 12 सूत्री मांगों पर ध्यान दिए बिना एक तरफा सुधार करने का विरोध कर रहे हैं.
शुक्रवार को होने वाली इस हड़ताल में 15 करोड़ श्रमिकों के शामिल होने की संभावना है. बैकिंग, टेलीकॉम, स्वास्थ्य और कई अन्य क्षेत्रों के कर्मचारी हड़ताल पर रहेंगे. यह कर्मचारी बेहतर वेतन के साथ सरकार की नई श्रमिक और निवेश नीतियों के विरोध में हड़ताल कर रहे हैं. इस दौरान बैंक, सरकारी ऑफिस और फैक्टरियां बंद रहेंगी.
कुछ राज्यों में स्थानीय संगठनों ने भी हड़ताल में शामिल होने का फैसला किया है. इनके साथ-साथ रेडियोलॉजिस्टों ने भी अनिश्चितकालीन हड़ताल की घोषणा की है. इससे अल्ट्रासोनोग्राफी और अन्य स्कैन प्रक्रियाएं जैसी रेडियोलॉजी सेवाएं प्रभावित होंगी. देशभर से लाखों नर्सें भी अनिश्चितकालीन हड़ताल पर जा रही हैं. दिल्ली के सरकारी अस्पतालों में करीब 20,000 नर्सें काम करती हैं. इनके हड़ताल पर जाने से स्वास्थ्य सुविधाओं का बुरी तरह प्रभावित होना तय है.
सरकार की अपील अस्वीकार
सरकार ने श्रमिक संगठनों से हड़ताल न करने की अपली की थी. वित्त मंत्री अरुण जेटली ने मंगलवार को कहा था कि सरकार अपने कर्मचारियों का पिछले दो साल का बोनस जारी करेगी. साथ ही अकुशल श्रमिकों के न्यूनतम वेतन में बढ़ोतरी की जाएगी. हालांकि, उनकी इस अपील को संगठनों ने ठुकरा दिया है.
इन संगठनों का कहना है कि सरकार उनकी मांगों को पूरा नहीं कर पाई है. इनकी आपत्ति बीमा और रक्षा जैसे क्षेत्रों में विदेशी निवेश के नियमों के ढीला करने को लेकर भी है. घाटे में चल रहे सार्वजनिक उपक्रमों को बंद करने की योजना का भी श्रमिक संगठन विरोध कर रहे हैं.
संगठनों की मांगे
संगठनों की मांगों में अखिल भारतीय जन वितरण प्रणाली के जरिए महंगाई कम करने, श्रम कानून लागू करने, सभी कर्मचारियों को एक समान सामाजिक सुरक्षा कवर और सरकारी कंपनियों-बैंकों का विनिवेश बंद करना शामिल है।
इसके अलावा उन्होंने मासिक न्यूनतम मजदूरी 18,000 रुपए (692 रु. प्रतिदिन) करने और मासिक न्यूनतम पेंशन 3,000 रुपए करने की मांग भी की है. हड़ताल से एक दिन पहले सरकार ने न्यूनतम मजदूरी 246 रुपये से बढ़ाकर 350 रुपये करने की घोषणा की थी, जिसे अस्वीकार कर दिया गया.
हड़ताल के संबंध में श्रम मंत्री बंडारू दत्तात्रेय ने कहा है कि श्रमिकों की समस्याएं पूर्ववर्ती यूपीए सरकार से जुड़ी हुई हैं। मौजूदा सरकार श्रमिक संगठनों से किसी तरह का मतभेद नहीं चाहती है। वहीं, इंडियन रेडियोलॉजिकल एंड इमेजिंग एसोसिएशन के अध्यक्ष ओपी बंसल ने कहा, ‘सरकार ने हमारी मांगों को पूरा करने को लेकर कोई वादा नहीं किया इसलिए हमने अपनी हड़ताल जारी रखने का फैसला किया है.’