नई दिल्ली. भारत की प्रमुख इस्लामी शिक्षण संस्था बरेली मरकज ने कहा है कि शौहर के जुल्म और घरेलू हिंसा की शिकार महिलाओं को तलाक लेकर अलग होने का पूरा अधिकार है. बरेली मरकज ने यह बात एक फतवे में कही है. बता दें कि शरीयत में तलाक का अधिकार सिर्फ पुरुष को है, लेकिन नई परिभाषा में साफ किया गया है कि पत्नी भी अपने शौहर को तलाक दे सकती है.
दारुल इफ्ता के प्रमुख मुफ्ती कफील अहमद ने जारी हुए फतवे में कहा कि इस्लाम में महिलाओं को परेशान करना और उनके साथ जुल्म करना बहुत बड़ा गुनाह है. अगर कोई महिला अपने शौहर से इस तरह के जुल्म की शिकार हो रही है तो उसे तलाक लेने का पूरा हक है. यह अधिकार उसे इस्लाम ने खुद दे रखा है.
बता दें कि एक लड़की ने बरेली मरकज से सवाल किया था कि अगर किसी महिला के साथ उसका शौहर जुल्म करता है तो उससे वह उससे कैसे अलग हो सकती है? शरिया में पत्नी की ओर से तलाक की पहल करने की इजाजत है या नहीं ? इस सवाल पर आए फतवे में कहा गया है कि इस्लाम में पूरी आजादी है कि महिला अपने शौहर से तलाक लेकर अपनी जिंदगी का फैसला कर सकती है.
देवबंद से जुड़े जमीतुल उलमा के जिला सदर मुफ्ती मोहम्मद मियां कासमी ने भी तफवीज-ए-तलाक पर सहमति जताई है. उनका कहना है कि शरियत में इसकी इजाजत है, अगर शौहर अपनी बीवी को तलाक लेने की इजाजत दे दे तो शरअन जायज है. ऐसे में औरत हजबे इजाजत अपने ऊपर तलाक दे सकती है.