नई दिल्ली. सुप्रीम कोर्ट में अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी ने विश्वविद्यालय को अल्पसंख्यक दर्जा दिए जाने के मामले में केंद्र सरकार के हलफनामे पर अपना जवाब दाखिल कर दिया. एएमयू ने कहा कि दर्जे को लेकर मौजूदा सरकार का स्टैंड राजनीतिक विचारधारा के कारण है. 80 पन्नों के इस काउंटर एफिडेविट पर अब केंद्र सरकार अपना जवाब तीन हफ्तों में कोर्ट में सौंपेगी.
सुनवाई के दौरान एएमयू की ओर से दाखिल जवाब में कहा गया है कि मौजूदा केंद्र सरकार ने इस मामले में जो स्टैंड बदला है, वो अलग राजनीतिक विचारधारा की वजह से है. एएमयू के मुताबिक, केंद्र का फैसला तर्कसंगत नहीं है, अनुचित है और राजनीतिक वजहों से लिया गया है.
बता दें कि एनडीए सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में अर्जी दाखिल कर कहा है कि वो एएमयू को अल्पसंख्यक शिक्षण संस्थान करार नहीं देने के इलाहाबाद हाई कोर्ट के फैसले के खिलाफ यूपीए सरकार की अपील को वापस लेना चाहती है.
सुप्रीम कोर्ट में एएमयू की ओर से दाखिल हलफनामा में कहा गया है कि सुप्रीम कोर्ट को सरकार की दलील खारिज करनी चाहिए, जिसमें सरकार उसके माइनॉरिटी दर्जा का विरोध कर रही है. एएमयू ने कहा, भारत सरकार को मॉइनॉरिटी के एक भी संस्थान को टेकओवर नहीं करना चाहिए. मौजूदा सरकार में अपना स्टैंड बदलकर जानबूझकर अपनी संवैधानिक जिम्मेदारी से पल्ला झाड़ा है. केंद्र सरकार ने संसद में अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी एक्ट बनाने के दौरान दिए गए सांसदों और पूर्व प्रधानमंत्री के बयान को तोड़-मरोड़ कर हलफनामे में इस्तेमाल किया है. इस मामले में कई संवैधानिक सवाल शामिल भी हैं.