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गुजरात में दलितों ने दिखाया दम, मरी गाय नहीं हटाने का लिया संकल्प

गुजरात के उना में दलित समुदाय ने अपने विरोध आंदोलन को तेज करने का संकल्प करते हुए कहा कि अगर एक महीने में सरकार हर परिवार को पांच एकड़ जमीन देने की मांग नहीं मानेगी तो विशाल रेल रोको आंदोलन किया जाएगा. साथ ही उन्होंने विरोध प्रदर्शन के दौरान अपने परंपरागत पेशे को छोड़ने का ऐलान करते हुए भविष्य में मरी हुई गाय नहीं हटाने का संकल्प लिया.

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  • August 16, 2016 4:54 am Asia/KolkataIST, Updated 8 years ago
उना. गुजरात के उना में दलित समुदाय ने अपने विरोध आंदोलन को तेज करने का संकल्प करते हुए कहा कि अगर एक महीने में सरकार हर परिवार को पांच एकड़ जमीन देने की मांग नहीं मानेगी तो विशाल रेल रोको आंदोलन किया जाएगा. साथ ही उन्होंने विरोध प्रदर्शन के दौरान अपने परंपरागत पेशे को छोड़ने का ऐलान करते हुए भविष्य में मरी हुई गाय नहीं हटाने का संकल्प लिया.
 
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स्वतंत्रता दिवस के मौके पर उना में हजारों दलित जुटे. रैली में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी निशाने पर रहे. दलित नेताओं ने जयभीम के नारे के बीच अत्याचार और भेदभाव से आजादी मांगी. संयुक्त रूप से हैदराबाद में आत्महत्या करने वाले दलित शोधार्थी रोहित वेमुला की मां राधिका वेमुला और बालू सरवैया (उना में जिन दलितों को पीटा गया था उनमें से एक के पिता) ने तिरंगा फहराया. 
 
उना दलित अत्याचार लड़त समिति (यूडीएएलएस) द्वारा अहमदाबाद से शुरू की गई एक सप्ताह तक चलने वाली रैली उना में समाप्त हुई. यह रैली उसी स्थान पर समाप्त हुई जहां गोरक्षकों ने एक मृत गाय की खाल उतारने को लेकर कुछ दलितों की बर्बरता से पिटाई की थी. इसको लेकर दलित समुदाय में काफी नाराजगी है.
 
दलित नेता जिग्नेश मवानी ने वहां मौजूद लोगों से इस बात की शपथ दिलाई कि वे आज से गाय की खाल उतारने का काम नहीं करें. मोदी को निशाना बनाते हुए मवानी ने कहा, बड़े स्तर के प्रदर्शन ने उन्हें इस मुद्दे पर बोलने को मजबूर किया. मोदी ने उस वक्त कुछ भी नहीं कहा था जब 2012 में तंगढ़ में पुलिस की गोलीबारी में तीन दलित युवक मारे गए थे.
 

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