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बेटियां: हिंदुस्तान की आयरन बेटी की अनसुनी कहानी

मणिपुर की 'लौह महिला' इरोम चानू शर्मिला को कौन नहीं जानता. इनकी कहानी एक ऐसी अनोखी महिला की है जिसकी पूरी जिंदगी उनके संघर्ष को बयान करती है. शर्मिला के अनशन तोड़ते ही हजारों लोग मिलने पहुंचे.

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  • August 13, 2016 2:17 pm Asia/KolkataIST, Updated 8 years ago
नई दिल्ली. मणिपुर की ‘लौह महिला’ इरोम चानू शर्मिला को कौन नहीं जानता. इनकी कहानी एक ऐसी अनोखी महिला की है जिसकी पूरी जिंदगी उनके संघर्ष को बयान करती है. शर्मिला के अनशन तोड़ते ही हजारों लोग मिलने पहुंचे.
 
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उन्होंने कहा, ‘मैं मणिपुर की सीएम बनना चाहती हूं और लोगों की सेवा करना चाहती हूं.’ पिछले महीने ही शर्मिला ने 9 अगस्त को भूख हड़ताल ख़त्म करने और आगामी मणिपुर विधानसभा के चुनाव में हिस्सा लेने की घोषणा की थी
 
.बता दें कि 16 साल बाद शर्मिला ने उपवास तोड़ा है. अधिकारों के लिए होने वाले आंदोलनों का चेहरा बन चुकी 44 वर्षीय शर्मिला आज स्थानीय अदालत में अपना उपवास खत्म की. सैन्य बल विशेषाधिकार कानून(अफस्पा) को खत्म करने की मांग को लेकर 16 साल से शर्मिला उपवास पर थीं.
 
शर्मिला को जीवित रखने के लिए कैदखाने में तब्दील हो चुके अस्पताल में उन्हें साल 2000 से ही नाक में ट्यूब के जरिए जबरन खाना दिया जा रहा था. गौरतलब है कि उन्होंने पिछले महीने उपवास तोड़ने की घोषणा की थी और कहा था कि वह चुनाव लड़ेंगी.
 

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