दूध में मिलावट करने वालों की अब खैर नहीं, SC ने जारी किए दिशा निर्देश

नई दिल्ली. दूध में मिलावट करने वालों के खिलाफ उम्र कैद तक का कठोर कानून बनाने की मांग वाली याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र और राज्यों को अहम दिशा निर्देश जारी किए हैं. सुप्रीम कोर्ट ने मिलावट को गंभीर मुद्दा बताते हुए निर्देश दिए हैं कि केंद्र और राज्य सरकारें ‘फूड सेफ्टी एंड स्टेंडर्डस एक्ट 2006’ को लागू करने के लिए प्रभावी कदम उठाए.
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राज्य सरकार अपने इलाके के डेयरी मालिक, डेयरी आपरेटरों और विक्रेताओं को सूचना दें कि अगर दूध में कीटनाश और कास्टिक सोडा जैसे कैमिकल पाए तो उनके खिलाफ कड़ी कारवाई की जाएगी. राज्य की फूड सेफ्टी अथारिटी अपने क्षेत्र में मिलावट के लिए हाई रिस्क इलाकों और त्यौहार आदि के वक्त का पता लगाए और उस वक्त और जगह से ज्यादा से ज्यादा सेंपल लिए जाएं.
राज्य की फूड सेफ्टी अथॉरिटी ये सुनिश्चित करें कि इलाके में पर्याप्त मान्यताप्राप्त लैब हों. राज्य और जिला स्तर पर लैब पूरी तरह संसाधनों से लैस हों और टेक्निकल लोग और टेस्ट की सुविधा हो. राज्य की फूड सेफ्टी अथारिटी और जिला अथॉरिटी दूध और दूध से बने उत्पादों के टेस्ट के लिए कारगर उपाय करें और औचक निरीक्षण के लिए मोबाइल टेस्ट वैन भी उपलब्ध हों.
राष्ट्रीय और राज्य स्तर पर मिलावट रोकने के लिए वक्त-वक्त पर स्नेप शार्ट सर्वे किए जाए. दूध में मिलावट को रोकने के लिए महाराष्ट्र की तरह चीफ सेकेट्री या डेयरी विकास सेकेट्री की अगवाई में और जिला स्तर पर कलक्टर की अगवाई मे कमेटी का गठन किया जाए. राज्य में मिलावट संबंधी जानकारी और शिकायत के लिए वेबसाइट हो और टोलफ्री नंबर भी बनाया जाए. साथ ही लोगों को अफसरों के नाम और नंबर भी मुहैया किए जाएं. राज्य मिलावट को लेकर जागरूकता का अभियान चलाएं और स्कूलों में भी वर्कशाप कर मिलावट का पता लगाने के तरीके बताएं.
केंद्र और राज्य खाद्य विभाग में भ्रष्टाचार और दूसरे गलत तरीकों का पता लगाने के लिए शिकायत का मैकेनिज्म तैयार करें. दरअसल मामले की सुनवाई में कोर्ट ने कहा था कि हम उम्मीद करते हैं कि सरकार फूड सेफ्टी एक्ट में बदलाव कर कानून सख्त करने पर विचार करेगी. कोर्ट ने राज्यों से भी कहा था कि दूध में मिलावट हो रही है। यही समय है कि इसपर रोक लगाई जाए या तो कानून में संसोधन हो या नया कानून बनाया जाए.
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गौरतलब है कि इससे पहले भी सुप्रीम कोर्ट ने दूध में मिलावट को लेकर सख्त टिप्पणी करते हुए कहा था कि यह तर्क विचित्र है कि दूध में मिलावट से तत्काल जान नहीं जाती. क्या दूध में सायनाइड मिलाया जाए और इसे पीकर लोगों की तत्काल मौत हो जाए, क्या तब जाकर सख्त कानून बनेगा. शीर्ष अदालत ने कहा था कि सरकार इस अपराध के लिए उम्रकैद की सजा का प्रावधान लाने के बारे में सोच रही है या नहीं.
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