नई दिल्ली. अटल बिहारी वाजपेयी ने सन 2000 में जिस GST की नींव रखी थी वो 16 साल बाद संसद में पास होने की कगार पर है. राज्यसभा से पास होने के बाद इसे लागू होने में थोड़ा और समय लगेगा.
बता दें कि लोकसभा ने पिछले साल जीएसटी बिल को दो-तिहाई से अधिक बहुमत से पास कर दिया था. बिल के पक्ष में 336 वोट पड़े थे. लेकिन राज्यसभा में बुधवार को सरकार इसे 5 संशोधन के साथ पेश करेगी. मतलब, लोकसभा से पास हुआ बिल राज्यसभा में बदलाव के साथ पेश होगा. इसलिए जब राज्यसभा इस बदले हुए बिल को पास कर देगी तो इसे फिर लोकसभा से भी पास कराना होगा क्योंकि लोकसभा से पास बिल में संशोधन हो चुके हैं.
राज्यसभा में बिल को पास कराने के लिए केंद्र सरकार की राह आसान दिख रही है. बीजेपी की सहयोगी पार्टियों के अलावा विपक्षी पार्टियों ने भी इस बिल को समर्थन देने का ऐलान किया है. राज्यसभा में कुल सांसदों के दो तिहाई से अधिक सांसद (163) इस बिल का समर्थन कर रहे हैं.
राज्यसभा में पास होने के बाद ये बिल फिर से लोकसभा में जाएगा. लोकसभा में संशोधित बिल के पास होने के बाद इस बिल को देश के आधे राज्यों की विधानसभा से अनुमोदन की जरूरत होगी और उसके बाद ही यह कानून देश भर में लागू होगा. यह संविधान संशोधन है जिसे संसद के साथ-साथ आधे राज्यों की विधान परिषद से समर्थन की जरूरत होती है.
राजनीतिक रूप से इसमें कोई विघ्न-बाधा नहीं है क्योंकि बीजेपी के साथ-साथ कई विपक्षी दल अब इस बिल को सपोर्ट कर रहे हैं और उन तमाम पार्टियों की राज्यों में इतनी सरकारें हैं कि राज्यों से अनुमोदन की प्रक्रिया थोड़े समय में पूरी कर ली जाएगी.
लोकसभा और राज्यसभा से पास बिल को कानून की शक्ल देने के लिए राष्ट्रपति के पास भेजा जाएगा. जीएसटी बिल पर राष्ट्रपति की मुहर लगने के बाद इसे कानून का रुप देने में कोई दिक्कत नहीं होगी. हालांकि राष्ट्रपति को अधिकार है कि वो इस बिल को कुछ संशोधनों के लिए सरकार के पास वापिस भी कर सकते हैं, लेकिन इसकी संभावना कम ही दिखती है.