नई दिल्ली. सुप्रीम कोर्ट में आज व्यापमं घोटाला पर सुनवाई जारी है. कोर्ट ने व्यापमं को राष्ट्रीय स्तर का घोटाला बताया है. कोर्ट ने कहा, ‘ये घोटाला हमें बेहद चौका रहा है, क्योंकि साल दर साल घोटाले होते रहे है. ये मामला किसी नौजवान बच्चे के रोटी चुराने का नहीं है. हमने हमेशा छात्रों का साथ दिया है लेकिन यहाँ तो हर साल घोटाले हुए है. अगर ऐसे घोटालों पर हम अपनी आँखें बंद किये रहेंगे तो ये रुकेंगे ही नहीं.’
कोर्ट ने मामले पर टिप्पणी करते हुए कहा, ‘लोग देश के अलग-अलग कोने से आकर परीक्षा देते है और घोटाले के जरिये वो चुन भी लिए जाते है. उन छात्रों का क्या वो पूरे साल कड़ी मेहनत करते है और इन घोटालों की वजह से उनका चुनाव नहीं हो पाता.’
सुप्रीम कोर्ट में तीन जजों की बेंच ने कहा, ‘ ये मामला केवल सामूहिक नक़ल का नहीं है यहाँ तो रोल नंबर भी बदले गए है. ये एक सामूहिक घोटाले का इशारा करता है. कोर्ट ने तल्ख़ टिप्पणी करते हुए कहा आपने उन छात्रों की जगह ली जो सही तरीके से दाखिला लेकर पढाई कर सकते थे.
अब सुप्रीम कोर्ट के सामने सवाल ये है कि क्या कोर्ट अपने अधिकार का इस्तेमाल कर इन छात्रों को रियायत दे या नहीं. या फिर कोर्ट ये तय करे कि इस तरीके से धोखाधडी करने वालों को कोई छूट नहीं दी जा सकती.
सुनवाई के अंत में सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को राज्य सरकार को निम्न सवालों के जवाब देने को कहा.
* हमें बताये कितने घोटाले व्यापम की तरफ राज्य में हुए है?
* पटवारी से लेकर PCS भर्ती तक अगर कोई ऐसा घोटाला हुआ है तो उसकी पूरी जानकारी राज्य सरकार हमें बताये?
* राज्य सरकार को ये भी बताना है कि अगर घोटाले हुए है तो उनकी जाँच कहाँ तक पहुँची है?
वही कोर्ट ने सीबीआई से पूछा कि व्यापम घोटाले की जाँच कहाँ तक पहुँची है और वो कब तक पूरी हो जायेगी ? मामले की सुनवाई बुधवार को भी जारी रहेगी.
बता दें कि व्यापमं घोटाले से जुड़े मामलों की सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट की दो जजों की बेंच ने 12 मई को अहम फैसला सुनाया था. दो जजों की बेंच बेंच ने दो अलग-अलग फैसले सुनाए. फैसले सामूहिक नकल मे जुड़े 634 छात्रों के संबंध में थे. सुनवाई कर रहे जस्टिस जे चेलमेश्वर ने सभी पक्षों की दलीलों को सुनने के बाद फैसला सुनाते हुए कहा था कि, ‘जनता के हितों को ध्यान में रखते हुए सभी 634 छात्रों को ग्रेजुएशन पूरा होने के बाद पांच साल तक भारतीय सेना के लिए बिना किसी वेतन के काम करना पड़ेगा. पांच साल पूरे होने पर ही उन्हें डिग्री दी जाएगी. इस दौरान उन्हें केवल गुजारा भत्ता दिया जाएगा.
वहीं जस्टिस अभय मनोहर सप्रे ने हाईकोर्ट के फैसले को बरकरार रखते हुये छात्रों की अपील को खारिज कर दिया था. मध्य प्रदेश के व्यापम मे सामूहिक नकल की बात सामने आने पर 2008-2012 के छात्रों के बैच को एड्मिशन रद्द कर दिया गया था. इसके बाद सभी छात्रों ने कोर्ट से इस मामले में दखल देने की अपील की थी.