नई दिल्ली. सुप्रीम कोर्ट ने देश की जनता को ऐसी सलाह दी है, जिसपर अगर वो अमल करें तो देश में भड़काऊ भाषण देने वाले नेताओं का सफाया हो सकता है. आज एक मामले में सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट का कहना था कि अगर जनता चाहे तो भड़काऊ भाषण देने वाले नेताओं को पूरी तरह से नकार सकती है. कोर्ट का कहना था कि अभी देश में ऐसा कोई कानून नहीं है, जिससे भड़काऊ भाषण देने वाले नेताओं की पार्टी की मान्यता को रद्द किया जा सके.
बता दें कि सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल कर महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना और शिवसेना की मान्यता को रद्द करने की मांग की गई थी. याचिका में कहा गया था कि इन पार्टी के नेता अक्सर भड़काऊ भाषण देते है जिसके बाद हिंसा होती है. इस याचिका पर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने ये फैसला सुनाया है.
कोर्ट ने कहा कि ऐसे में अगर किसी राजनीतिक पार्टी से जुड़े कुछ लोगों ने हिंसा की है, या भड़काऊ भाषण दिया है तो ऐसे में पार्टी की मान्यता को रद्द नहीं किया जा सकता. कोर्ट ने आगे कहा कि लोग तय करें कि वो भड़काऊ भाषण देने वाले नेताओं की पार्टी अपनाते हैं या इंकार करते है. दरअसल चुनाव आयोग ने हलफनामा दायर कर कहा था कि भड़काऊ भाषण देने पर पार्टी की सदस्यता को रद्द करने का अधिकार हमारे पास नहीं है.