नई दिल्ली. लाभ के पद को लेकर फंसे आम आदमी पार्टी (AAP) के 21 विधायकों के खिवलाफ चुनाव आयोग गुरुवार से सुनवाई करेगा. केजरीवाल के सभी 21 विधायक अपने वकिलों के साथ आयोग के सामने अपना पक्ष रखकर ये बताएंगे आखिर क्यों उनका पद लाभ के पद के दायरे में नहीं आता और उनकी विधायकी क्यों न रद्द हो. इस मामले में चुनाव आयोग गुरुवार को अहम फैसला सुना सकता है.
क्या है मामला
बता दें कि मार्च 2015 को दिल्ली सरकार ने अपने 21 विधायकों को संसदीय सचिव बनाया था. इसके खिलाफ प्रशांत पटेल नाम के शख्स ने राष्ट्रपति के पास याचिका लगाकर आरोप लगाया कि ये 21 विधायक लाभ के पद पर हैं, इसलिए इनकी सदस्यता रद्द होनी चाहिए. राष्ट्रपति ने ये याचिका चुनाव आयोग को भेजकर कार्रवाई करने को कहा.
इसी के तहत आयोग ने आप विधायकों को नोटिस भेजकर जवाब मांगा. वहीं इस मामले पर आप विधायकों का कहना है कि वे सरकार से संसदीय सचिव के नाते कोई वेतन भत्ता या ऐसी कोई सुविधा नहीं ले रहे जो लाभ के पद के दायरे में आएं.
केंद्र ने दिल्ली HC में जताई थी आपत्ति
केंद्र सरकार ने दिल्ली हाई कोर्ट में आप विधायकों को संसदीय सचिव बनाए जाने के फैसले का विरोध करते हुए आपत्ति जताई थी. केंद्र का कहना है कि दिल्ली में सिर्फ एक संसदीय सचिव हो सकता है, जो मुख्यमंत्री के पास होगा. 21 विधायकों को यह पद देने का कोई संवैधानिक प्रावधान नहीं है.
विधायक जिन पर लटकी है तलवार
1. जरनैल सिंह, राजौरी गार्डन 2. जरनैल सिंह, तिलक नगर 3. नरेश यादव, महरौली 4. अल्का लांबा, चांदनी चौक 5. प्रवीण कुमार, जंगपुरा 6. राजेश ऋषि, जनकपुरी 7. राजेश गुप्ता, वज़ीरपुर 8. मदन लाल, कस्तूरबा नगर 9. विजेंद्र गर्ग, राजिंदर नगर 10. अवतार सिंह, कालकाजी 11. शरद चौहान, नरेला 12. सरिता सिंह, रोहताश नगर 13. संजीव झा, बुराड़ी 14. सोम दत्त, सदर बाज़ार 15. शिव चरण गोयल, मोती नगर 16. अनिल कुमार बाजपई, गांधी नगर 17. मनोज कुमार, कोंडली 18. नितिन त्यागी, लक्ष्मी नगर 19. सुखबीर दलाल, मुंडका 20. कैलाश गहलोत, नजफ़गढ़ 21. आदर्श शास्त्री, द्वारका