नई दिल्ली. सुप्रीम कोर्ट गुरुवार को ये तय करेगा कि क्या 24 महीने की गर्भवती महिला का गर्भपात हो सकता है कि नहीं. दरअसल मेडिकल टेर्मिनेशन ऑफ़ प्रेगनेंसी एक्ट 1971 के मुताबिक 20 हफ़्ते से ज़्यादा गर्भवती महिला का गर्भपात नहीं हो सकता.
बता दें कि मुम्बई की रहने वाली एक महिला ने इस एक्ट को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है और गर्भपात कराने की इजाज़त मांगी है. महिला ने अपनी याचिका में कहा है कि वो बेहद ही गरीब परिवार से है उसके मंगेतर ने शादी का झांसा देकर उसके साथ बलात्कार किया और उसे धोखा देकर दूसरी लड़की से शादी कर ली. जिसके बाद उसने मंगेतर के खिलाफ महिला ने बलात्कार के तहत केस दर्ज कराया है. महिला को जब पता चला वो प्रेग्नेंट है तो उसने कई मेडिकल टेस्ट कराये जिससे पता चला कि अगर वो गर्भपात नहीं कराती तो उसकी जान जा सकती थी.
2 जून 2016 को डॉक्टरों ने उसका गर्भपात करने से इंकार कर दिया क्योंकि उसे गर्भधारण किये 20 हफ्ते से ज़्यादा हो चुके थे. महिला ने अपनी याचिका में कहा है कि 1971 में जब कानून बना था तो उस समय 20 हफ्ते का नियम सही था लेकिन अब समय बदल गया है अब 26 हफ़्ते बाद भी गर्भपात हो सकता है . याचिका में कहा गया है कि 20 हफ़्ते का कानून असंवैधानिक है. याचिका में ये भी कहा गया है कि इस कानून से उसका व्यकितगत जीवन और निजता प्रभावित हो रही है.