चीन को रोकने के लिए वियतनाम को ‘वरुणास्त्र’ बेचेगी मोदी सरकार !

भारत अपनी नई पनडुब्बी वरुणास्त्र टॉरपीडो (जहाज तोड़ने वाला हथियार) वियतनाम को बेचने पर विचार कर रहा है. ब्रह्मोस सुपरसॉनिक मिसाइल बेचने को लेकर दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय वार्ता के बाद यह कदम उठाया जा रहा है. वियतनाम के साथ सैन्य संबंधों की मजबूती के लिए भारत की एक और कोशिश है.

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चीन को रोकने के लिए वियतनाम को ‘वरुणास्त्र’ बेचेगी मोदी सरकार !

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  • July 2, 2016 11:54 am Asia/KolkataIST, Updated 8 years ago
नई दिल्ली. भारत अपनी नई पनडुब्बी वरुणास्त्र टॉरपीडो (जहाज तोड़ने वाला हथियार) वियतनाम को बेचने पर विचार कर रहा है. ब्रह्मोस सुपरसॉनिक मिसाइल बेचने को लेकर दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय वार्ता के बाद यह कदम उठाया जा रहा है. वियतनाम के साथ सैन्य संबंधों की मजबूती के लिए भारत की एक और कोशिश है. 
 
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चीन के दबदबे से चिंतित है भारत-वियतनाम
एशिया-पैसेफिक क्षेत्र में चीन के बढ़ते दबदबे से भारत और वियतनाम दोनों ही देश चिंतित हैं. इसी को देखते हुए भारत रक्षा संबंधी सौदों के साथ वियतनाम के सैनिकों को किलो-क्लास सबमरीन सैन्य ट्रेनिंग देने संबंधी योजनाओं पर भी अमल का विचार कर रहा है. खास तौर पर चीन की सक्रियता दक्षिण चीन सागर में बहुत अधिक है. भारत वियतनाम के सहयोग से यहां के कुछ ब्लॉक्स में तेल और गैस की खुदाई भी कर रहा है. 
 
 
एडवांस हैवीवेट टॉरपीडो है वरुणास्त्र
डीआरडीओ के मुताबिक, वरुणास्त्र एक हैवीवेट एडवांस टॉरपीडो है. इससे पहले डीआरडीओ ‘ताल’ नाम का टॉरपीडो डेवलप कर चुका है लेकिन वह लाइटवेट है. ताल से छोटे टारगेट को निशाना बनाया जा सकता है. इसके अलावा लाइटवेट टॉरपीडो को हेलिकॉप्टर से भी दागा जा सकता है. ‘वरुणास्त्र’ 40 नॉटिकल माइल प्रति घंटे की स्पीड से दुश्मन के वारशिप और सबमरीन पर हमला करने में कैपेबल है. वरुणास्त्र को सबमरीन और वॉरशिप दोनों से दागा जा सकता है.
 
 
करीब 1.25 टन वजनी है वरुणास्‍त्र
रक्षा मंत्रालय के मुताबिक, वरुणास्‍त्र का वजन करीब 1.25 टन है, जो 250 किलो के विस्‍फोटक को 40 नॉटिकल मील प्रति घंटे की रफ्तार से लक्ष्‍य पर दाग सकता है. इसका 95 फीसदी हिस्‍सा भारत में विकसित किया गया है. इसके एक यूनिट की कीमत 10 से 12 करोड़ रुपए है.
 
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ब्रह्मोस में क्या है खूबी?
ब्रह्मोस भारत-रूस के ज्वॉइंट वेंचर से देश में ही बनाई गई एक सुपर सोनिक एंटी शिप मिसाइल है. यह दुनिया की सबसे तेज क्रूज मिसाइल है. इसकी स्पीड अमेरिकी सबसोनिक टॉमहॉक क्रूज मिसाइल से तीन गुना ज्यादा 2.8 मैच है. यह मिसाइल 300 किलो वारहेड के साथ 290 किलोमीटर की दूरी तक मार कर सकती है. सरफेस-टू-सरफेस पर मार करने वाली इस मिसाइल को सबमरीन, शिप और प्लेन से भी दागा जा सकता है. सी और सरफेस से मार करने वाली ब्रह्मोस मिसाइल को इंडियन आर्मी और नेवी में शामिल किया जा चुका है. भारत इसके सबमरीन से लांच किए जाने वाले वर्जन के दो सक्सेसफुल टेस्ट कर चुका है. इस मिसाइल को वियतनाम की किलो-क्लास सबमरीन में भी यूज किया जा सकता है.

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