नई दिल्ली. रमजान माह का आखिरी जुमा की नमाज शुक्रवार को शहर की विभिन्न मस्जिदों में होगी. परंपरा के मुताबिक इसे अलविदा जुमा कहा जाता है. उम्मीद की जा रही है कि 6 या 7 जुलाई को ईद के चांद का दीदार हो सकता है. शुक्रवार को अलविदा की नमाज पूरे अकीदत व एहतराम के साथ जिले भर की मस्जिदों में अदा की जाएगी. वैसे तो इस्लाम में हर नमाज और हर जुमे की अहमियत है, लेकिन रमजान का आखिरी जुमा खास ही होता है.
अलविदा का मतलब है किसी चीज के रुखसत होने का यानी रमजान हमसे रुखसत हो रहा है. इसलिए इस मौके पर जुमे में अल्लाह से खास दुआ की जाती है कि आने वाला रमजान हम सब को नसीब हो.
रमजान की बरकतें व रहमतें हर महीनों से ज्यादा होती हैं. अलविदा की नमाज के लिए तैयारियां शुरु हो गई हैं. इस पाक महीने के 30 दिन खत्म होने के बाद ईद का त्योहार बड़े हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है.
क्या है अलविदा की नमाज
अलविदा यानि रमजान के आखिर में पड़ने वाला जुमा. इस जुमे के साथ ही रमजान अपने आखिरी पड़ाव पर आ जाता है. अल्लाह ने इस जुमे को सबसे अफजल करार दिया है. हदीस शरीफ में इस जुमे को सय्यदुल अय्याम कहा गया है. माहे रमजान से मुहब्बत करने वाले कुछ लोग अलविदा के दिन गमगीन हो जाते हैं.
अल्लाह की रहमतों के नूर को अपने दिल में ऐसे सजाओं जो दूसरे के दिलों को रौशन कर सके. अलविदा की सबको मुबारकबाद दें और आखिरी अशरे के चंद दिनों में जितनी हो सके इबादत करें.