नई दिल्ली. सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को केंद्र सरकार की अर्जी पर सुनवाई करते हुए कहा कि गे, लेस्बियन और बाइसेक्सुअल को थर्ड जेंडर की कैटेगरी में नहीं रखा जा सकता, सिर्फ ट्रांसजेंडर को ही थर्ड जेंडर की कैटेगरी में रखा जाएगा.
कोर्ट ने यह फैसला देश में समलैंगिकता को अपराध की श्रेणी में रखने वाली भारतीय दंड संहिता की धारा 377 को निरस्त करने की मांग करने वाली याचिका पर सुनवाई करते हुए सुनाया.
अर्जी में आईपीसी की धारा 377 को रद्द करने की मांग की गई थी. कोर्ट ने 2014 में दिए अपने फैसले में बदलाव से इनकार करते हुए आज यह फैसला सुनाया.