नई दिल्ली. समुद्र में भारत की ताकत बढ़ाने के लिए भारतीय नौसेना की ताकत अब और बढ़ गई है. नौसेना को पहला हैवीवेट सबमरीन डेस्ट्रायर टॉरपीडो ‘वरुणास्त्र’ मिला है. इसके साथ ही भारत उन आठ देशों में शामिल हो गया है, जिनके पास ऐसे सिस्टम बनाने की क्षमता है. वरुणास्त्र को डीआरडीओ के लैब नेवल साइंस एंड टेक्नोलॉजी लैबोरेट्री (NSTL) ने विकसित किया है.
पूरी तरह मेड इन इंडिया है वरुणास्त्र
टॉरपीडो एक मिसाइल है जो सबमरीन से दागी जाती है. वरुणास्त्र पूरी तरह मेड इन इंडिया है, जिसे बुधवार को रक्षा मंत्री मनोहर पार्रिकर ने नौसेना को सौंपा. इसे डीआरडीओ की एनएसटील में इसे डेवलप किया गया है. इस मिसाइल को भारत डायनामिक्स लिमिटेड (बीडीएल) ने तैयार किया है. इसमें नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ ओशन टेक्नोलॉजी से भी हेल्प ली गई है.
एडवांस हैवीवेट टॉरपीडो है वरुणास्त्र
डीआरडीओ के मुताबिक, वरुणास्त्र एक हैवीवेट एडवांस टॉरपीडो है. इससे पहले डीआरडीओ ‘ताल’ नाम का टॉरपीडो डेवलप कर चुका है लेकिन वह लाइटवेट है. ताल से छोटे टारगेट को निशाना बनाया जा सकता है. इसके अलावा लाइटवेट टॉरपीडो को हेलिकॉप्टर से भी दागा जा सकता है. ‘वरुणास्त्र’ 40 नॉटिकल माइल प्रति घंटे की स्पीड से दुश्मन के वारशिप और सबमरीन पर हमला करने में कैपेबल है. वरुणास्त्र को सबमरीन और वॉरशिप दोनों से दागा जा सकता है.
करीब 1.25 टन वजनी है वरुणास्त्र
रक्षा मंत्रालय के सूत्रों के मुताबिक, वरुणास्त्र का वजन करीब 1.25 टन है, जो 250 किलो के विस्फोटक को 40 नॉटिकल मील प्रति घंटे की रफ्तार से लक्ष्य पर दाग सकता है. इसका 95 फीसदी हिस्सा भारत में विकसित किया गया है. इसके एक यूनिट की कीमत 10 से 12 करोड़ रुपए है.
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