नई दिल्ली. दिल्ली सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में अर्जी दाखिल कर 110 एम्बुलेंस के रजिस्ट्रेशन के लिए छूट की मांग की थी. जिस पर सुप्रीम कोर्ट ने सख्ती दिखाई है. सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली सरकार से पूछा है कि एम्स की उस रिपोर्ट पर क्या कदम उठाया गया है जिसमें एंबूलेंस के लिए मानक तैयार की सिफारिश की गई थी.
सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली सरकार से चार हफ्तों में जवाब मांगा है. बता दें कि दिल्ली सरकार ने अपनी अर्जी में कहा था की 2000 सीसी से ज़्यादा के क्षमता वाले 110 डीज़ल एम्बुलेंस के रजिस्ट्रेशन की इजाज़त दी जाये.
चीफ जस्टिस ने कहा कि आप एंबूलेंस के रजिस्ट्रेशन के लिए आ जाते हैं लेकिन एंबूलेंस के लिए कोई मानक तैयार नहीं किए. हालात ये हैं कि कोई भी किसी ट्रक या टेंपों के बाहर क्रास लगाकर चल देता है. उपकरणों के नाम पर एंबूलेंस में सिर्फ पंखा भर होता है. सुप्रीम कोर्ट ने ट्रामा सेंटर के लिए दिल्ली सरकार को 110 डीजल एंबूलेंस के बिन सेस ग्रीन के रजिस्ट्रेशन को मंजूर दी. प्रदूषण मामले में सभी पक्षकारों को रोडमैप और सुझाव लाने को कहा.
कैट्स एंबुलेंस सेवा के अधिकारियों के अनुसार, सुप्रीम कोर्ट से यह अपील की गई है कि एंबुलेंस मरीजों के जीवन जुड़ी इमरजेंसी सेवा है. इसलिए इनके रजिस्ट्रेशन की अनुमति दी जाए. कैट्स के बेड़े में फिलहाल 152 एंबुलेंस हैं. इसमें सिर्फ 21 एएलएस (एडवांस लाइफ सपोर्ट) और 10 बीएलएस (बेसिक लाइफ सपोर्ट) एंबुलेंस हैं. अन्य सभी सामान्य एंबुलेंस हैं, जिनमें जीवनरक्षक उपकरण और दवाएं नहीं होती.