नई दिल्ली. भारत को भले ही NSG में जगह नहीं मिली लेकिन मिसाइल टेक्नोलॉजी कंट्रोल रिजीम (MTCR) में सोमवार को पूर्ण सदस्य बन गया है. विदेश सचिव एस. जयशंकर ने फ्रांस के राजदूत अलेक्सांद्र, नीदरलैंड के राजदूत अल्फोंसस और लक्जमबर्ग के राजदूत सैम श्रीनेर की मौजूदगी में इस 34 सदस्यीय समूह में प्रवेश संबंधी दस्तावेज पर हस्ताक्षर किए. इन दस्तावेजों पर हस्ताक्षर करने के साथ ही भारत ने चीन और पाकिस्तान को मिसाइल ताकत में पीछे छोड़ दिया है.
एप्लीकेशन को कर दिया था रिजेक्ट
MTCR में शामिल होने के बाद भारत हाई-टेक मिसाइल एक्सपोर्ट कर सकता है और अपनी बह्मोस जैसी मिसाइल को बेच सकेगा. हालांकि चीन अब तक इसका सदस्य नहीं बना है. चीन ने 2004 में MTCR में सदस्यता के लिए एप्लीकेशन दी थी, पर नॉर्थ कोरिया को मिसाइल तकनीक देने के आरोप में उसकी एप्लीकेशन को रिजेक्ट कर दिया गया. अब जब भारत MTCR का सदस्य होगा तो उसके पास मौका होगा कि वह चीन को एंट्री दे या नहीं.
चीन 10 साल से MTCR में आने का इच्छुक
भारत के लिए एMTCR में जाना एक बड़ी उपलब्धि है. चीन 10 साल से से इसकी सदस्यता ग्रहण करना चाहता है लेकिन वह सदस्य नहीं बन पाया. भारत MTCR का 35वां सदस्य होगा. इसकी सदस्यता से भारत की मिसाइल टेक्नोलॉजी की गुणवत्ता तो बढ़ेगी ही भारत मिसाइल का निर्यात भी कर पाएगा.
MTCR से भारत को होगा यह फायदा
34 देशों के Missile Technology Control Regime (MTCR) में भारत की एंट्री हो गई है. MTCR में शामिल होने के बाद भारत हाई-टेक मिसाइल का दूसरे देशों से बिना किसी अड़चन के एक्सपोर्ट कर सकता है और अमेरिका से ड्रोन भी खरीद सकता है और बह्मोस जैसी मिसाइल को बेच सकेगा. एमटीसीआर एक प्रमुख अप्रसार समूह है और इसका सदस्य बनने से भारत को अत्याधुनिक प्रक्षेपास्त्र प्रौद्योगिकी तक पहुंच बनाने में मदद मिलेगी. MTCR का सदस्य बनने पर भारत को कुछ नियमों का पालन करना पड़ेगा जैसे अधिकतम 300 किलोमीटर से कम रेंज वाली मिसाइल बनाना ताकि हथियारों की होड़ को रोका जा सके. बता दें कि भारत ने MTCR सदस्यता के लिए पिछले साल आवेदन किया था और उसकी अर्जी ‘मूक प्रक्रिया’ के तहत विचाराधीन थी. किसी भी देश की आपत्ति के बिना प्रक्रिया की अवधि सोमवार को उसकी एंट्री हो जाएगी.
7 बड़े देशों ने किया था MTCR का गठन
MTCR का गठन साल 1997 में दुनिया के सात बड़े विकसित देशों ने किया था. बाद में 27 अन्य देश भी इसमें शामिल हुए हैं. साल 2008 में इस समूह के लिए भारत के आवेदन पर इटली ने आपत्ति की थी. लेकिन इटली के नौसैनिकों को छोड़े जाने के बाद इस बार इटली ने कोई आपत्ति नहीं जताई.