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संघर्ष: बॉलीवुड की भीड़ से कैसे अलग हैं नवाजुद्दीन सिद्दीकी

हाथों की लकीरों में अपने लिए लकीरें खींचने वाले लोग अपने आप में एक बड़ी मिसाल बन जाते हैं ? वे कुछ ऐसा करते हैं जिससे दूसरों में जीने की उम्मीद और हौसला दोनों पैदा होते हैं. ऐसे ही लोग संघर्ष को सही मायने देते हैं.

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  • June 26, 2016 5:54 pm Asia/KolkataIST, Updated 9 years ago
नई दिल्ली. हाथों की लकीरों में अपने लिए लकीरें खींचने वाले लोग अपने आप में एक बड़ी मिसाल बन जाते हैं ? वे कुछ ऐसा करते हैं जिससे दूसरों में जीने की उम्मीद और हौसला दोनों पैदा होते हैं. ऐसे ही लोग संघर्ष को सही मायने देते हैं. 
 
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ऐसी ही एक शख्सियत है अभिनेता नवाजुद्दीन सिद्दीकी की जिनकी जिंदगी इसकी शानदार मिसाल है. नवाजुद्दीन खेत खलियान से उठा और अब बड़े-बड़े मंचों की शोभा बड़ा रहे हैं. नवाजुद्दीन सिद्दीकी की रमन राघव ताजा फिल्म आई है. रमन राघव के जरिए नवाजुद्दीन और अनुराग कश्यप की फिल्म फिर सिनेमा घरों में आ रही है. ये वही जोड़ी है जिसने गैंग्स ऑफ वासेपुर में गजब का कारनामा किया था. 
 
मुजफ्फरनगर से आए नवाजुद्दीन ने नाकायाबी इतनी देखी कि उसके बाद वे ड्रिपेशन में जाने लगे. वह इतने मजबूर तक हो गए थे कि उनके पास किराया देने का भी पैसा नहीं था. मुंबई में रहने के लिए एक जगह मिल जाए इसलिए वो अपने दोस्तों का खाना तक बनाते थे. 
 
नवाजुद्दीन को 12 साल के संघर्ष के बाद आमिर खान की मूवी सरफरोश में 46 सेकेंड का किरदार मिला. अनुराग कश्यप ने सरफरोश के उन्हीं 46 सेकेंड के देखने के बाद गैंग ऑफ वासेपुर के लिए चुना था. सरफरोश से गैंग्स ऑफ वासेपुर तक नवाजुद्दीन को छोटे-छोटे किरदार के लिए बहुत संघर्ष करना पड़ा. 
 
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इंडिया न्यूज के खास शो ‘संघर्ष‘ में मैनेजिंग एडिटर राणा यशवंत आपको बताएंगे कि नवाजुद्दीन सिद्दीकी के जीवन में क्या उतार-चढ़ाव आए. साथ ही उन्होंने बॉलीवुड की मशहूर हस्तियों की लिस्ट में कैसे अपना नाम दर्ज किया.
 
वीडियो पर क्लिक करके देखिए पूरा शो

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