नई दिल्ली. भारतीय रक्षा क्षेत्र और एयरोस्पेस में शनिवार को एक और महत्वपूर्ण अध्याय जुड़ गया. इंडियन एयर फोर्स में शामिल लड़ाकू विमान सुखोई-30 में दुनिया की सबसे खतरनाक सुपरसोनिक मिसाइल ब्रह्मोस को जोड़ दिया गया, जिससे सुखोई की ताकत कई गुना बढ़ गई है. तकनीक का ये मेल हिन्दुस्तान एअरनोटिक्लस लिमिटेड (एचएएल) की वजह से संभव हो सका है. एचएएल नासिक ने ही आज के इस सफल प्रयोगिक उड़ान का आयोजन किया था.
इस सफल उड़ान के बाद ब्रहमोस हवाई प्रोग्राम ने अगले महिने हवा से जमीन पर मार करने वाली 2.5 टन ब्रह्मोस मिसाइल के परीक्षण की दिशा में एक और कदम बढ़ा दिया है. ये 2.5 टन की मिसाइल सुखोई-30 से प्रक्षेपित की जाएगी. आज के सफल प्रयोगिक उड़ान के मौके पर एचएएल के सीएमडी टी राजू, सुधीर कुमार मिश्रा, सीईओ और एमडी ब्रह्मोस और श्री दलजीत सिंह, सीईओ एचएएल नासिक मौजूद थे. डीआरडीओ के सचिव डॉ एस क्रिस्टोफर ने इस मौके पर पूरी टीम को बधाई दी.
बता दें कि ब्रह्मोस प्रक्षेपास्त्रों की मारक क्षमता 290 किलोमीटर है, जबकि यह 300 किलोग्राम विस्फोटक ले जाने में सक्षम हैं. ब्रह्मोस प्रक्षेपास्त्र का नामकरण ब्रह्मपुत्र तथा मोस्कवा नदी के नाम पर किया गया है. रूस की मशिनोस्त्रोयेनिया और भारत के रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) द्वारा संयुक्त रूप से स्थापित ब्रह्मोस एयरोस्पेस प्राइवेट लिमिटेड ब्रह्मोस सुपरसोनिक प्रक्षेपास्त्रों का विकास एवं उत्पादन करता है.
ब्रह्मोस के उत्पादन में भारत की 20 तथा रूस की 10 उद्योग इकाइयाँ शामिल हैं. ब्रह्मोस के विभिन्न हिस्सों को जोड़ने का कार्य हैदराबाद स्थित केंद्र में किया जाता है. इस प्रक्षेपास्त्र के समुद्री एवं जमीनी संस्करणों का सफलतापूर्वक परीक्षण कर इन्हें क्रमशः नौसेना और वायुसेना में शामिल किया जा चुका है.