नई दिल्ली. ब्रिटेन का यूरोपीय संघ (ईयू) से अलग होना या नहीं इसका फैसला शुक्रवार को आएगा. लेकिन इसके इफेक्ट भारत में अभी से देखे जा रहे हैं. नतीजों के बाबत पाउंड 31 साल के न्यूनतम स्तर पर पहुंच गया है, वहीं भारतीय शेयर बाजार सेंसेक्स में भी 940 अंकों की गिरावट दर्ज की गई है और शेयर बाजार 26 हजार के नीचे आ गया है. गुरुवार को वोटिंग खत्म होने के बाद शुक्रवार को वोटों की गिनती अभी जारी है.
अभी तक लीव के सबसे ज्यादा वोट
अभी तक ब्रिटेन के 382 क्षेत्रों के किए गए जनमत संग्रह में से 309 के नतीजे ‘लीव’ यानी ब्रिटेन के ईयू का हिस्सा नहीं रहने के पक्ष में हैं. सबसे ताजा आंकड़ों में लीव के पक्ष में 1 करोड़ 10 लाख वोट पड़े हैं. ‘रीमेन’ यानी यूनियन में बने रहने के पक्ष में पड़े वोटों से यह 6 लाख अधिक है.
12 लाख भारतीय मूल के लोगों ने लिया हिस्सा
एक अनुमान के मुताबिक, 4 करोड़ 60 लाख से ज्यादा लोगों ने मतदान में हिस्सा लिया. इनमें करीब 12 लाख भारतीय मूल के हैं. इस जनमत संग्रह के रुझान आने शुरू हो गए हैं. ब्रिटेन में किसी भी चुनाव में जनभागीदारी का यह रिकॉर्ड है. राजधानी लंदन सहित दक्षिण-पूर्व ब्रिटेन के कई इलाकों में खराब मौसम के बावजूद लोगों में मतदान को लेकर खासा उत्साह दिखा.
कैमरन ने किया था वादा
साल 2015 के चुनावों के दौरान डेविड कैमरन ने ब्रिटेन का ईयू से बाहर निकलने को लेकर साल 2017 खत्म होने से पहले जनमत संग्रह कराने का वादा किया था. कैमरन ने लोगों से ईयू में बने रहने के पक्ष में वोट करने की अपील की है, जबकि अमेरिका में राष्ट्रपति पद की दौड़ में शामिल डोनाल्ड ट्रंप का मानना है कि ब्रिटेन का ईयू से बाहर होना एक बेहतर कदम होगा.
मत पर 2 टुकड़ों में बंट चुका है ब्रिटेन
ईयू में बने रहने को लेकर ब्रिटेन दो टुकड़ों में बंट चुका है. एक ओर जो लोग यह चाहते हैं कि ब्रिटेन को ईयू से बाहर हो जाना चाहिए उनका मानना है कि कि अगर ब्रिटेन यूरोपियन यूनियन से अलग हो जाता है तो देश की सारी दिक्कतें दूर हो जाएंगी. वहीं दूसरी ओर लोगों का यह मानना है कि ब्रिटेन का यूरोपियन यूनियन से अलग होना देश के लिए बड़ा झटका होगा. इसलिए उनका देश ईयू का हिस्सा बना रहे.