नई दिल्ली. मुंबई के कांदीवली में सेंट थॉमस स्कूल मौजूदा इमारत में नहीं चलेगा. सुप्रीम कोर्ट ने मानसून में मुंबई के हालात का हवाला देते हुए स्कूल को कोई भी राहत देने से इंकार कर दिया. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि मानसून में मुंबई के क्या हालात होते हैं ये सब जानते हैं. ऐसे में नाले पर बने इस स्कूल को चलाने की इजाजत नहीं दी जा सकती.
कोर्ट ने कहा कि मानसून के दौरान नाले में बाढ जैसे हालात होते हैं और ऐसे में छात्रों की सुरक्षा को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता और ना ही उनके जीवन को खतरे मे डाला जा सकता है. दरअसल कांदीवली के सेंट थॉमस स्कूल की ओर से सुप्रीम कोर्ट में अर्जी दाखिल की गई थी और बोंबे हाईकोर्ट के 8 जून के उस आदेश को चुनौती दी गई थी जिसमें इमारत को खतरनाक बताते हुए उसे 4 हफ्तों में खाली करने और किसी ओर जगह स्कूल चलाने को कहा गया था.
हाईकोर्ट ने कहा था कि ये इमारत अवैध तरीके से बनी है और नाले पर होने की वजह से यहां कोई हादसा हो सकता है. इससे पहले स्कूल के एक हिस्से को BMC ने गिरा दिया था जिसके खिलाफ स्कूल ने बॉम्बे हाईकोर्ट में चुनौती दी थी.
गुरुवार को हुई सुनवाई में स्कूल की ओर से कहा गया कि ये स्कूल 1988 से चल रहा है और इसमें करीब 3100 छात्र पढ रहे हैं. उनके भविष्य को देखते हुए सुप्रीम कोर्ट सेशन खत्म होने यानी अप्रैल 2017 तक इसी इमारत में स्कूल चलाने की इजाजत दे. स्कूल की दलील थी कि मामला नाले पर अवैध निर्माण का है ना कि इमारत के खतरनाक होने का.
स्कूल का कहना था कि वैसे भी स्कूल के लिए जगह ले ली गई है और वहां इमारत बनाने की प्रक्रिया शुरु हो गई है. लेकिन जस्टिस आदर्श गोयल और जस्टिस AM खानवेलकर की बेंच ने कहा कि मानसून में मुंबई के हालात क्या होते हैं, ये सब जानते हैं. इमारत का एक हिस्सा गिरा भी दिया गया है. खासकर नाले बारिश की वजह से बाढ जैसे हो जाते हैं.
ऐसे में स्कूल में आने वाले छात्रों की सुरक्षा अहम हो जाती है. इन हालात में स्कूल चलाने की इजाजत नहीं दी जा सकती. स्कूल किसी दूसरी जगह किराए की इमारत लेकर काम चला सकता है. कोर्ट ने बोंबे हाईकोर्ट के फैसले पर रोक लगाने से इंकार करते हुए याचिका खारिज कर दी.