नई दिल्ली. साल 2019 का आगाज हो चुका है और पूरी दुनिया ने जमकर नए साल का जश्न मनाया. इस साल के पहले तीन महीने नरेंद्र मोदी सरकार के लिए काफी अहम रहने वाले हैं. सबसे पहले सुप्रीम कोर्ट में राम मंदिर- बाबरी मस्जिद मामले में सुनवाई होगी. फरवरी में नरेंद्र मोदी सरकार आम बजट पेश करेगी. 2019 लोकसभा चुनावों के लिए भी मार्च-अप्रैल से मत्थापच्ची शुरू हो जाएगी. दिसंबर में आए पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव के बाद बीजेपी के लिए चिंता पैदा हो गई है. जहां कांग्रेस एक बार फिर वापसी करने के मूड में दिख रही है. वहीं बीजेपी के सहयोगी उससे नाराज चल रहे हैं.
4 जनवरी को चीफ जस्टिस रंजन गोगोई और जस्टिस एसके कौल की बेंच रामजन्मभूमि-बाबरी मस्जिद भूमि विवाद मामले पर लंबित याचिकाओं की सुनवाई करेगी. अक्टूबर में सुप्रीम कोर्ट ने अयोध्या मामले पर तुरंत सुनवाई से इनकार करते हुए मामले की सुनवाई जनवरी के पहले हफ्ते के लिए तय की थी. बीजेपी के लिए राम मंदिर मुद्दा गले ही हड्डी बनता जा रहा है.
सहयोगी शिवसेना ने ऐलान किया है कि वह 2019 का लोकसभा चुनाव अकेले लड़ेगी. इससे पहले टीडीपी और उपेंद्र कुशवाहा की रालोसपा भी एनडीए से अलग हो चुकी हैं. नरेंद्र मोदी सरकार के लिए चिंता की बात सिर्फ सहयोगी दलों की ओर से ही नहीं है. इस बार अनुमान लगाया जा रहा है कि 2018-19 की आखिरी तिमाही में विकास दर 7.1 प्रतिशत रहेगी, जबकि पहले यह 8.2 प्रतिशत थी. वहीं 1 फरवरी को पेश होने वाले आम बजट भी सरकार के लिए बहुत अहम रहने वाला है. उम्मीद है कि सरकार कई बड़े ऐलान कर सकती है.
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