नई दिल्ली. इशरत जहां एनकाउंटर केस में गुम हुई फाइलों की जांच रिपोर्ट सोमवार को केंद्र सरकार सार्वजनिक कर सकती है. रिपोर्ट्स के अनुसार पता चला है गृह मंत्रालय अपनी बेवसाइट पर 52 पेजों की फाइल अपलोड कर सकता है. सूत्रों से पता चला है कि हलफनामे के गायब कागजों जिम्मेदारी तय करने के लिए केंद्रिय एजेंसी को जांच सौंपी जा सकती है.
इस मामले में तत्कालीन गृहमंत्री चिदंबरम पर आरोप लग रहा है कि उन्होंने एनआईए का दुरुपयोग किया और जबरन एफ़िडेविट बदलवाए और वह कागजात हटा दिया गया, जिसमें एनआईए ने इशरत को लश्कर-ए-तैयबा से जुड़ा बताया था. सूत्रों के अनुसार यह बात उभरकर सामने आ रहा है कि इशरत जहां मामले से संबंधित फाइलों में से जाने अनजाने 18-28 सितंबर 2009 के बीच कुछ दस्तावेजों को हटाया गया.
जब दूसरी फाइल तैयार की जा रही थी उस पर पी. चिदंबरम और जीके पिल्लई की अहम भूमिका रही. बहरहाल समिति ने इस मामले में 52 पन्नों की रिपोर्ट दी है और उसने गृह मंत्रालय ने अपने 11 अधिकारियों से पूछताछ कर कई जगहों पर छानबीन भी की ताकि गायब दस्तावेज को ढूंढ़ा जा सके.
बता दें कि गत गुरुवार को इशरत जहां एनकाउंटर केस में गुम हुई फाइलों की जांच कर रहे केन्द्रीय गृह मंत्रालय के अधिकारी बी.के. प्रसाद पर गवाहों पर दबाव डालने का आरोप लग रहा है. अंग्रेजी अखबार ‘द इंडियन एक्सप्रेस’ ने खबर छापी है की बीके प्रसाद यूपीए सरकार में गृह मंत्रालय में तैनात अफसरों से मन-मुताबिक सवालों के जवाब देने को कह रहे थे. अखबार में छपी खबर के अनुसार बीके प्रसाद ने अधिकारियों को सवाल भी बताए और कहा कि ये सवाल आपसे पूछा जाए तो आप लोग ये जवाब देना.