नई दिल्ली. दिल्ली में मुख्यमंत्री केजरीवाल बगैर असलहे के कोतवाल हैं- ना ही उन्हें आईएएस आईपीएस अधिकारियों की तैनाती का हक है ना ही किसी केंद्र सरकार के कर्मचारी या दिल्ली पुलिस के खिलाफ भ्रष्टाचार के मामले में संज्ञान लेने का अधिकार. ये बात आज केंद्र सरकार के गजट अधिसूचना से साफ हो गई. इस अधिसूचना में संविधान की धारा 239 का पूरा जिक्र करते हुए साफ लिखा है कि दिल्ली में प्रशासन का पूरा अधिकार राष्ट्रपति की तरफ से नियुक्त उप राज्यपाल के पास ही होगा.
ये एलजी के विवेक के ऊपर है कि वो अधिकारियों की तैनाती या तबादले के लिए मुख्यमंत्री से सलाह लेते हैं या नहीं. अब सवाल ये है कि जब संविधान में ही मुख्यमंत्री का पक्ष कमजोर है, तो फिर एलजी पर एक हफ्ते से निशाना क्यों साध रही थी दिल्ली सरकार ? क्या केजरीवाल जानबूझकर पूरी लड़ाई को मोदी बनाम केजरीवाल का रंग देने की कोशिश कर रहे हैं ?
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