2 Months of Jammu Kashmir Article 370 Revoked: नरेंद्र मोदी सरकार द्वारा जम्मू-कश्मीर से आर्टिकल 370 हटाए जाने के दो महीने बाद भी सामान्य नहीं हुए हालात, पाबंदी में जीने को मजबूर घाटी के लोग!

2 Months of Jammu Kashmir Article 370 Revoked, Kashmir me Sitithi Sammanya nahi: केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार के जम्मू-कश्मीर और लद्दाख से आर्टिकल 370 हटाए जाने और विशेष राज्य का दर्जा वापस लेने के कदम को 2 महीने पूरे हो गए हैं. बीजेपी सरकार की ओर से कहा जा रहा है कि कश्मीर में हालात सामान्य हो गए हैं. गृह मंत्री अमित शाह के मुताबिक घाटी के कुछएक जगहों को छोड़कर घाटी के सभी जिलों से कर्फ्यू हटा दिया गया है. हालांकि अंतरराष्ट्रीय मीडिया रिपोर्ट्स में कुछ और ही कहानी कही जा रही है. इन रिपोर्ट्स में कहा जा रहा है कि दो महीने बाद भी कश्मीर के लोग पाबंदी में जीने को मजबूर हैं. महबूबा मुफ्ती और उमर अब्दुल्ला समेत कई नेता, पत्रकार और वकीलों को हिरासत में रखा गया है. कई इलाकों में इंटरनेट और मोबाइल सेवाएं बंद हैं. चारों तरफ सुरक्षाबलों का पहरा है.

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2 Months of Jammu Kashmir Article 370 Revoked: नरेंद्र मोदी सरकार द्वारा जम्मू-कश्मीर से आर्टिकल 370 हटाए जाने के दो महीने बाद भी सामान्य नहीं हुए हालात, पाबंदी में जीने को मजबूर घाटी के लोग!

Aanchal Pandey

  • October 5, 2019 6:02 pm Asia/KolkataIST, Updated 5 years ago

नई दिल्ली/श्रीनगर. नरेंद्र मोदी सरकार के जम्मू-कश्मीर से आर्टिकल 370 हटाने और विशेष राज्य का दर्जा वापस लेने के कदम को दो महीने पूरे हो चुके हैं. गृह मंत्री अमित शाह 5 अगस्त को राज्यसभा में आर्टिकल 370 हटाने और राज्य का विभाजन कर इसे जम्मू-कश्मीर और लद्दाख दो केंद्र शासित प्रदेश बनाने का प्रस्ताव लेकर आए थे. उस समय कर्फ्यू लगाया गया था. हाल ही में अमित शाह ने एक कार्यक्रम में बताया था कि कश्मीर के लगभग हिस्सों में कर्फ्यू हटा दिया है सिर्फ 8 थाना क्षेत्रों में धारा 144 लागू है. कश्मीर फिर से शांति की राह पर लौट रहा है. स्थानीय मीडिया रिपोर्ट्स में भी कश्मीर में अशांति को लेकर कोई खबरें नहीं हैं. हालांकि कुछ अंतरराष्ट्रीय मीडिया रिपोर्ट्स दावा करती हैं कि आर्टिकल 370 हटाए जाने के दो महीने बीत जाने के बाद भी घाटी के लोग अभी पाबंदी में जी रहे हैं.

जम्मू-कश्मीर से आर्टिकल 370 हटाए जाने से पहले ही केंद्र सरकार ने घाटी में सैन्य गतिविधि बढ़ा दी थी. 4 अगस्त की आधी रात से कश्मीर में इंटरनेट और मोबाइल नेटवर्क पर पाबंदी लगाकर कर्फ्यू लगा दिया था. हालांकि इसके कुछ दिन बाद घाटी से बाहर के इलाके यानी जम्मू रीजन के जिलों में हालात सामान्य कर दिए गए लेकिन साउथ कश्मीर और सीमा से सटे इलाकों में पाबंदी जारी रखी. कश्मीर के कई इलाकों में मीडिया को भी बैन कर दिया गया. ग्राउंड रिपोर्ट्स बाहर नहीं आईं. जगह-जगह सेना के जवानों को तैनात किया गया. अभी भी कश्मीर के कई इलाकों में धारा 144 लागू है. कई मानवाधिकार संगठनों ने कश्मीर में मानवाधिकार हनन का मुद्दा भी उठाया.

बीबीसी ने अपनी खबरों में मोदी सरकार पर उठाए सवाल-
अंग्रेजी अखबार इंडियन एक्सप्रेस में 30 अगस्त को छपी एक खबर के मुताबिक आर्टिकल 370 हटाए जाने के तीन हफ्तों के भीतर जम्मू-कश्मीर में करीब 80 नागरिक पैलेट गन से जख्मी हुए थे. हालांकि सरकार ने दावा किया कि घाटी में किसी भी प्रकार की हिंसा या झड़प नहीं हुई. बीबीसी ने भी इस दौरान कश्मीर से कई ग्राउंड रिपोर्ट्स कीं. बीबीसी ने लगातार केंद्र सरकार द्वारा घाटी में पाबंदी लगाए जाने की खबर को प्रमुखता से उठाया है. बीबीसी की कई रिपोर्ट्स में बताया गया कि सरकार के इस कदम के बाद कश्मीरियों को किस प्रकार कैद होकर जीना पड़ा.

आर्टिकल 370 हटाए जाने को दो महीने पूरे होने के बाद अंतरराष्ट्रीय मीडिया ने भी नरेंद्र मोदी सरकार पर सवाल उठाए हैं. अलजजीरा ने अपनी रिपोर्ट में लिखा है कि पिछले दो महीने से कश्मीर में सेना ने घेराबंदी कर रखी है. बच्चों को गिरफ्तार किया गया है, उनपर अत्याचार का किए जा रहे हैं. धंधा ठप पड़ा है. मोबाइल और इंटरनेट काम नहीं कर रहे हैं.

न्यूयॉर्क टाइम्स ने अपने एक आर्टिकल में लिखा है कि मोदी सरकार के इस फैसले के बाद जम्मू-कश्मीर में कर्फ्यू लगाया गया था और करीब 4,000 लोगों को हिरासत में लिया गया जिसमें वकील और पत्रकार भी शामिल हैं. उन्हें प्रताड़ित करने के गंभीर आरोप लगाए जा रहे हैं. भारत सरकार ने क्षेत्र में फोन और इंटरनेट सेवाएं भी बंद कीं जिससे लाखों लोगों को कैद में जीने के लिए मजबूर होना पड़ा.

वॉशिंगटन पोस्ट ने भी कश्मीर से एक ग्राउंड रिपोर्ट पब्लिश की है. इस रिपोर्ट में कश्मीर के परिगाम में रहने वाले 3 लोगों के साथ सेना के जवानों ने छेड़छाड़ की थी. जवानों ने उसके सड़क पर कपड़े उतरवाए और उनकी पिटाई भी की.

द इकोनॉमिस्ट ने लिखा है कि केंद्र सरकार ने कश्मीर में पिछले दो महीने में सैकड़ों बेगुनाह लोगों को गिरफ्तार किया है. हजारों सैनिकों को घाटी में तैनात किया गया. अलगाववादियों ने  इसके खिलाफ स्ट्राइक की और स्कूल, बाजार, दुकानें बंद करवाए. भारत की न्यायपालिका सरकार द्वारा कश्मीर में किए जा रहे अत्याचार पर खामोश है.

महबूबा मुफ्ती, उमर अब्दुल्ला समेत कश्मीर के कई नेता नजरबंद-
कश्मीर से विशेष राज्य का दर्जा वापस लेने के तुरंत बाद ही केंद्र सरकार ने सख्ती अपनाते हुए कश्मीर के स्थानीय नेताओं को नजरबंद कर दिया था और फिर उन्हें हिरासत में ले लिया. इनमें जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला और महबूबा मुफ्ती शामिल हैं. इसके अलावा सज्जाद लोन, उस्मान माजिद, एमवाई तारिगामी समेत अन्य कई नेताओं को भी डिटेन किया गया था. साथ ही कुछ पत्रकार और वकील भी जेल में हैं. इन लोगों को अभी तक हिरासत में रखा हुआ है और बाहरी लोगों से मिलने की इजाजत नहीं है, बयानबाजी करने पर भी पाबंदी है.

राम माधव ने कहा- सिर्फ 200 नेता हिरासत में, सारी सुविधाएं दी जा रहीं
बीजेपी के राष्ट्रीय महासचिव राम माधव ने शनिवार को कहा कि जम्मू और लद्दाख में हालात सामान्य हो चुके हैं. हालांकि कश्मीर में कुछ अभी स्थिति पूरी तरह सामान्य नहाीं हुई है, उन्होंने कहा कि राज्य के 200 से ज्यादा नेताओं को 5 स्टार होटलों में नजरबंद किया गया है. बाकि राज्य में हालात शांतिपूर्ण हैं.

सुप्रीम कोर्ट में आर्टिकल 370 हटाए जाने के खिलाफ दायर याचिकाओं पर 14 नवंबर को सुनवाई
कई लोगों ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर जम्मू-कश्मीर से आर्टिकल 370 हटाए जाने के केंद्र सरकार के फैसले को चुनौती दी है. याचिकाओं में कहा गया है कि केंद्र सरकार के इस कदम से कश्मीर में मानवाधिकारों का उल्लंघन हुआ है. शीर्ष अदालत की संविधान पीठ ने केंद्र सरकार से 28 दिनों के भीतर इस पर जवाब मांगा है. इन याचिकाओं पर कोर्ट 14 नवंबर को अगली सुनवाई करेगा.

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