Advertisement

सवाल है अहम, मुस्लिम पर्सनल लॉ से संतों को क्या दिक्कत?

एक तरफ देश में तीन तलाक के खिलाफ बहस चल रही है, तो दूसरी ओर देश के कुछ बड़े संतों ने अचानक समान नागरिक संहिता के लिए माहौल बनाना शुरू कर दिया है. आखिर समान नागरिक संहिता को संतों ने एजेंडा क्यों बनाया..? मुस्लिम पर्सनल लॉ से संतों को क्या दिक्कत है.

Advertisement
  • June 18, 2016 4:15 pm Asia/KolkataIST, Updated 9 years ago
नई दिल्ली. एक तरफ देश में तीन तलाक के खिलाफ बहस चल रही है, तो दूसरी ओर देश के कुछ बड़े संतों ने अचानक समान नागरिक संहिता के लिए माहौल बनाना शुरू कर दिया है. आखिर समान नागरिक संहिता को संतों ने एजेंडा क्यों बनाया..? मुस्लिम पर्सनल लॉ से संतों को क्या दिक्कत है. 
 
इनख़बर से जुड़ें | एंड्रॉएड ऐप्प | फेसबुक | ट्विटर
 
मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड का कहना है कि शादी जन्मों-जन्मों का साथ नहीं है और तीन तलाक का नियम सही है. लगातार तीन तलाक पर हो रही बहस पर दिल्ली में मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने अपनी राय जाहिर की है. बोर्ड ने कहा है कि तीन तलाक सही है और इसमें किसी भी तरह का बदलाव सही नहीं होगा.
 
Stay Connected with InKhabar | Android App | Facebook | Twitter
 
इंडिया न्यूज के खास शो ‘बड़ी बहस‘ में इन्हीं सवालों पर पेश है चर्चा. 
 
वीडियो पर क्लिक करके देखिए पूरा शो

Tags

Advertisement