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पहली बार महिला फाइटर पायलट बनकर इन त्रिशक्ति ने रचा इतिहास

देश में नया इतिहास लिखते हुए शनिवार को पहली बार तीन महिला अफसरों को फाइटर पायलट के तौर पर भारतीय वायुसेना में शामिल किया गया है. हैदराबाद के एयरफोर्स एकेडमी में हुई पासिंग आउट परेड के बाद फ्लाइंग कैडेट भावना कंठ, मोहना सिंह और अवनी चतुर्वेदी को आधिकारिक तौर पर एयरफोर्स में शामिल किया गया. इस मौके पर रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर और वायुसेना प्रमुख एयरचीफ मार्शल अरुप राहा भी वहां मौजूद थे.

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  • June 18, 2016 12:11 pm Asia/KolkataIST, Updated 9 years ago
नई दिल्ली. देश में नया इतिहास लिखते हुए शनिवार को पहली बार तीन महिला अफसरों को फाइटर पायलट के तौर पर भारतीय वायुसेना में शामिल किया गया है. हैदराबाद के एयरफोर्स एकेडमी में हुई पासिंग आउट परेड के बाद फ्लाइंग कैडेट भावना कंठ, मोहना सिंह और अवनी चतुर्वेदी को आधिकारिक तौर पर एयरफोर्स में शामिल किया गया. इस मौके पर रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर और वायुसेना प्रमुख एयरचीफ मार्शल अरुप राहा भी वहां मौजूद थे.
 
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महिला और पुरुष में कोई अंतर नहीं: भावना
भावना सिंह कहती हैं, ‘मेरा बचपन का सपना था कि मैं लड़ाकू विमान की पायलट बनूं. जहां चाह होती है, वहां राह होती है. महिला और पुरुष में कोई अंतर नहीं होता है. दोनों में एक ही तरह की हुनर, क्षमता क्षमता होती है कोई भी खास अंतर नहीं होता है.’ भावना ने कहा कि मैं हमेशा से चिड़ियों की तरह हवा में उड़ना चाहती थी. इसी सपने ने मुझे एयर फोर्स ज्वाइन करने के लिए प्रेरित किया. पहले स्टेज की ट्रेनिंग पूरी करने के बाद मुझे फाइटर स्ट्रीम में जाने का सुनहरा मौका मिला। यह मेरे जीवन का सबसे बड़ा मौका था.
 
यह सपना पूरे होने जैसा: अवनी
पहली बार फाइटर पायलट बनने वाली महिलाओं में मध्यप्रदेश की अवनी चतुर्वेदी भी हैं. अवनी कहती हैं कि मेरा सपना बढ़िया फाइटर पायलट बनने का है, जिससे लाइव ऑपरेशन के दौरान उड़ान भरने के लिए सीनियर मुझ पर भरोसा कर सकें. इसके लिए रोज कुछ न कुछ सीख रही हूं. अवनी का कहना है कि हर किसी का सपना होता है कि वो उड़ान भरें. अगर आप आसमान की ओर देखते हैं तो पंछी की तरह उड़ने का मन करता है. वह कहती हैं, ‘आवाज की स्पीड में उड़ना एक सपना होता है और अगर ये मौका मिलता है तो एक सपना पूरे होने के सरीखा है.’
 
देश की सेवा करना चाहती हूं: मोहना
फाइटर प्लेन उड़ाने की ट्रेनिंग ले रहीं गुजरात के वडोदरा की रहने वाली मोहना सिंह हैं. उनके पिता एयर फोर्स में और मां टीचर हैं. वह अपने परिवार की परंपरा को आगे बढ़ाते हुए देश की सेवा करना चाहती हैं. मोहना कहती हैं, ‘मैं तो ट्रांसपोर्ट विमान उड़ाना चाहती थी, लेकिन मेरे ट्रेनर ने मुझे लड़ाकू विमान के लिए प्रेरित किया. लड़ाकू विमानों का करतब और उनकी तेजी की वजह से मैं यहां पर हूं.’
 
लड़ाकू विमानों से दूर रखा जाता था महिलाओं को
इंजीनियरिंग में ग्रेजुएट ये तीनों युवा महिलाएं अपनी शुरुआती ट्रेनिंग पूरी कर चुकी हैं. अब इनकी एक साल की एडवांस ट्रेनिंग कर्नाटक के बीदर में होगी. पिछले साल अक्टूबर माह में भारत सरकार ने भारतीय वायुसेना में महिला लड़ाकू पायलटों को भी शामिल करने की मंजूरी प्रदान की थी. हालांकि साल 1991 से ही यहां की वायुसेना में महिलाएं हेलीकाप्टर और ट्रांसपोर्ट एयरक्राफ्ट उड़ाती आ रही हैं. लेकिन लड़ाकू विमानों से इनको दूर ही रखा जाता था. 
 
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94 महिला पायलट हैं वायुसेना में
अभी तक वायुसेना में महिलाएं केवल ट्रांसपोर्ट विमान और हेलीकॉप्टर ही उड़ा सकती थीं. इसके अलावा महिलाएं प्रशासनिक, एटीसी और शिक्षा विंग में भी काम करतीं थीं. वायुसेना में फिलहाल 1500 महिला अधिकारी है. इनमें से 94 महिला पायलट हैं.

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