नई दिल्ली. नील गायों, बन्दर, और जंगली सुअरों को मारने के मामला देश की सबसे बड़ी अदालत में पहुँच गया है. एनिमल एक्टिविस्ट गौरी मुलेखी और NGO फेडरेशन आफ इंडियनएनिमल प्रोटेक्शन, वाइल्ड लाइफ रेस्क्यू एंड रेहबलिटेशन ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल कर नील गायों, बन्दर, और जंगली सुअरों के मारने पर रोक की मांग की गई है.
याचिका में कहा गया है कि इस तरह जानवरों को मारना उनके अधिकारों का हनन है और इस पर रोक लगाई जाए. सुप्रीम कोर्ट इस जनहित याचिका पर जल्द सुनवाई को तैयार हो गया है. इसी हफ्ते सुप्रीम कोर्ट इस याचिका पर सुनवाई करेगा. याचिका में कहा गया है कि बिहार, हिमाचल, और उत्तराखंड में नीलगाय आदि को हिंसक जानवर घोषित कर, लोगों को नुकसान पहुंचाने के नाम पर मारा जा रहा है. याचिका में केंद्र के 2015 के नोटिफिकेशन को गैरकानूनी बताया गया है और रोक लगाने की मांग की है जिसके तहत इन जानवरों को मारा जा रहा है.
याचिका में कहा गया है कि सरकार ने बिना किसी आधार और वैज्ञानिक अध्ययन के ये नोटिफिकेशन जारी किया गया है जबकि सच्चाई ये है कि ना तो उनकी जनसंख्या के बारे में सरकार को कोई जानकारी है और ना ही कोई रिपोर्ट. यहां तक कि सरकार जंगलों में माइनिंग भी नहीं रोक पाई है जिसकी वजह से जानवर रिहायशी इलाके में घुसने को मजबूर हो गए हैं.