नई दिल्ली. नई दिल्ली. बॉम्बे हाई कोर्ट से भले ही उड़ता पंजाब के निर्देशक को राहत मिल गई हो लेकिन परेशानियां अभी ख़त्म नहीं हुई हैं. उड़ता पंजाब फ़िल्म को लेकर आज दो अलग अलग याचिकाएं दिल्ली की दो अदालतों में दाखिल की गई. पहली याचिका देश की सबसे बड़ी अदालत में दाखिल कर बॉम्बे हाई कोर्ट के फ़ैसले को चुनौती दी गई तो दूसरी याचिका दिल्ली हाई कोर्ट में दाखिल कर मांग की गई की प्रोमो से वो दृश्य हटाया जाये जिसको बॉम्बे हाई कोर्ट ने हटाने के आदेश दिए थे.
बुधवार को मामले की सुनवाई के दौरान दिल्ली हाई कोर्ट ने उड़ता पंजाब के निर्देशक को आदेश दिया कि प्रोमो से वो दृश्य हटाया जाये जिसको बॉम्बे हाई कोर्ट ने हटाने के आदेश दिए थे. हाई कोर्ट ने उड़ता पंजाब के निर्देशक को कहा कि ऑनलाइन प्रोमो से भी वो सीन हटाया जाये.
पंजाब की ह्यूमन राइट अवेयरवेस संगठन ने एक जनहित याचिका हाई कोर्ट में दाखिल कर कहा गया था कि बॉम्बे हाई कोर्ट के मुताबिक दृश्य को प्रोमो से हटाया जाएं क्योंकि हाई कोर्ट के आदेश के बावजूद भी वो सीन प्रोमो में चल रहा है. खास बात ये है कि इसी NGO ने सुप्रीम कोर्ट में भी उडता पंजाब के खिलाफ याचिका दायर की है और बोंबे हाईकोर्ट के आदेश को चुनौती दी है.
वही याचिकाकर्ता की ओर से सुप्रीम कोर्ट में कहा गया कि हाईकोर्ट का एक कट के बाद फिल्म को हरी झंडी देने का फैसला सही नहीं है. ये फिल्म पंजाब की गलत तस्वीर पेश करती है. हाईकोर्ट को फिल्म के सीन काटने का कोई अधिकार नहीं है. लिहाजा हाईकोर्ट के फैसले पर रोक लगाई जाए. लेकिन याचिका में औपचारिकता पूरी ना होने की वजह से सुप्रीम कोर्ट ने फिलहाल सुनवाई से इंकार करते हुए कहा कि पहले अर्जी दाखिल करने की औरचारिकता पूरी की जाए और फिर मामले को कोर्ट के सामने रखा जाए.