नई दिल्ली. केन्द्र सरकार ने साल 1966 के उस सर्कुलर को वापस लेने का फैसला लिया है, जिसमें राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) या किसी अन्य गैरकानूनी संगठन से जुड़े लोगों को सरकारी नौकरी न देने की घोषणा की गई थी. अगर ऐसा हुआ तो आरएसएस और जमात से जुड़े लोग भी अपनी काबिलियत के अनुसार बिना किसी रूकावट के सरकारी नौकरी पा सकते हैं.
यहां से मामले ने पकड़ा तूल
इस मामले ने तब तूल पकड़ा जब बीकानेर के रहने वाले एक शख्स ने कस्टम विभाग में इंस्पेक्टर पद की परीक्षा पास कर ली, लेकिन ज्वाइनिंग लेटर में इनसे घोषणा पत्र मांगा गया है. जिसमें साफ-साफ कहा गया है कि आप आरएसएस या ऐसे किसी अन्य गैरकानूनी संगठन के सदस्य तो नहीं हैं ? इतना ही नहीं ज्वाइनिंग लेटर में ये भी कहा गया है कि अगर आपकी ओर से दी गई जानकारी गलत निकली तो आपको नौकरी से निकाले जाने के साथ कानूनी कार्रवाई भी की जाएगी.
सरकार ने दी सफाई
वहीं पूरे मामले पर जानकारी देते हुए केंद्रीय कार्मिक मंत्री जितेन्द्र सिंह ने कहा कि केंद्र सरकार ने हाल में ऐसा कोई आदेश जारी नहीं किया है. उन्होंने यह भी कहा कि अगर किसी पुराने सर्कुलर की वजह से यह गलतफहमी उपजी है तो उसे दूर किया जाएगा.
क्या है यह 1966 का सर्कुलर ?
साल 1966 में गृहमंत्रालय ने एक सर्कुलर जारी किया था. इस सर्कुलर के मुताबिक सरकारी नौकरी के लिए नियुक्त लोगों को घोषणापत्र देकर यह बताना होगा कि वे आरएसएस या जमात-ए-इस्लामी से तो नहीं जुड़े. अगर कोई इन संगठनों से जुड़ा है तो उसे नौकरी नहीं दी जाएगी. इस सर्कुलर को 1975 और 1980 में दोबारा जारी किया गया था. हालांकि कई सालों तक इन सर्कुलर का पालन नहीं किया गया.