नई दिल्ली. चीन की बढ़ती दादागीरी को चुनौती देने के लिए अब भारत ने कमर कस ली है. भारत नें वियतनाम को सुपर सोनिक क्रूज मिसाइल ब्रह्मोस बेचेने का फैसला किया है. मोदी सरकार ने इस फैसले को मंजूरी दे दी है. वियतनाम को ब्रह्मोस बेचने के पीछे बड़ी वजह चीन के रक्षा सौदा बाजार को चुनौती देना बताया जा रहा है. वियतनाम के अलावा भारत इंडोनेशिया, साउथ अफ्रीका और चीली से भी बातचीत कर रहा है.
UPA सरकार ने रोक दी थी डील
भारत से ब्रह्मोस खरीदने के लिए वियतनाम ने 5 साल पहले बातचीत की थी. उस समय चीन के नारजगी के बाद यूपीए सरकार ने इस डील को रोक दिया था. लेकिन अब मोदी सरकार ने ब्रह्मोस वियतनाम को बेचने के फैसले को मंजूरी दे दी है. डिफेंस मिनिस्ट्री के सूत्रों के मुताबिक पीएम नरेंद्र मोदी और पर्रिकर इस मिसाइल सिस्टम को वियतनाम को बेचे जाने के फेवर में हैं.
क्या है खूबी?
ब्रह्मोस भारत-रूस के ज्वॉइंट वेंचर से देश में ही बनाई गई एक सुपर सोनिक एंटी शिप मिसाइल है. यह दुनिया की सबसे तेज क्रूज मिसाइल है. इसकी स्पीड अमेरिकी सबसोनिक टॉमहॉक क्रूज मिसाइल से तीन गुना ज्यादा 2.8 मैच है. यह मिसाइल 300 किलो वारहेड के साथ 290 किलोमीटर की दूरी तक मार कर सकती है. सरफेस-टू-सरफेस पर मार करने वाली इस मिसाइल को सबमरीन, शिप और प्लेन से भी दागा जा सकता है.
सी और सरफेस से मार करने वाली ब्रह्मोस मिसाइल को इंडियन आर्मी और नेवी में शामिल किया जा चुका है. भारत इसके सबमरीन से लांच किए जाने वाले वर्जन के दो सक्सेसफुल टेस्ट कर चुका है. इस मिसाइल को वियतनाम की किलो-क्लास सबमरीन में भी यूज किया जा सकता है.