ट्रिपल तलाक: मीडिया ट्रायल पर रोक लगाने से SC का इंकार

नई दिल्ली. सुप्रीम कोर्ट ने ट्रिपल तलाक मामले पर मीडिया ट्रायल पर रोक लगाने से साफ इंकार कर दिया है. कोर्ट ने मामले की सुनवाई करते हुए कहा है कि इस मामले पर मीडिया ट्रायल को रोकना सही नहीं होगा. कोर्ट में दाखिल याचिका में कहा गया था कि रमजान के महीने में लोग मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड की बात मानेंगे.
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इस मामले में सुप्रीम कोर्ट में फरहा फैज ने अर्जी दाखिल कर मांग की थी कि ट्रिपल तलाक को लेकर ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड जो मीडिया और दूसरी जगहों पर बयान दे रहा है उसपर रोक लगाई जाए.
मंगलवार को सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि इस मामले में जल्द सुनवाई की जरूरत नहीं है. कोर्ट ने याचिकाकर्ता को कहा कि आप मुख्य याचिकाकर्ता को नोटिस दीजिये और 29 जून जब मुख्य मामले की सुनवाई होगी तब अपनी याचिका पर सुनवाई की मांग कीजिये.
फरहा फैज ने अपनी अर्जी में कहा है कि ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड मीडिया और दूसरी जगहों पर बयान जारी कर ऐसे प्रचार कर रही है जैसे बीजेपी सरकार पर्सनल लॉ बोर्ड में बदलाव करना चाहती है और यूनिफार्म सिविल कोड को लागू कराना चाहती है. इतना ही नहीं ऐसे प्रचार किया जा रहा है जैसे इस्लाम खतरे में है.
मंगलवार से रमजान का पवित्र महीना शुरू हो गया है. रमजान में दिन की आखिरी नवाज यानी तरावीह जो मुस्लिम अदा करते है उसमें उनका धर्म में विश्वास बहुत बढ़ जाता है. इनदिनों ईमाम और काजी का मुस्लिम समुदाय पर प्रभाव रहता है. ऐसा लगता है कि इन धर्म गुरुओं ने लोगों को सम्मोहित कर रखा है.
ऐसे में ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड मुस्लिम समुदाय को कह सकता है की ट्रिपल तलाक को रद्द करने की मांग बीजेपी सरकार के द्वारा होती है. याचिकाकर्ता ने आशंका जाहिर की कि ऐसे में वो लोगों के बीच कह सकते है कि अब ‘ हिंदुस्तान में इस्लाम खतरे में है. ऐसे में ये समाज और देश के लिए खतरनाक हो सकता है.’
बता दें कि फरहा फैज ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल कर ट्रिपल तलाक को खत्म करने के मांग की है. फरहा फैज़ ने अपनी याचिका में कहा है कि ट्रिपल तलाक कुरान के तहत देने वाले तलाक के अंतर्गत नहीं आता. ट्रिपल तलाक की वजह से मुस्लिम महिलाओं के अधिकारों का हनन होता है. शादी, तलाक और गुजारा भत्ता के लिए कोई सही नियम न होने कि वजह से महिलाएं लिंगभेद का शिकार हो रही है.
फैज उत्तर प्रदेश में मुस्लिम वुमेन क्वेस्ट नामक एक एनजीओ चलाती हैं. इसके साथ ही वो आरएसएस कि शाखा राष्ट्रवादी मुस्लिम महिला संघ कि अध्यक्ष भी हैं.
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