नई दिल्ली. रेप के आरोपी आसाराम और उनके समर्थकों की मुश्किलें बढ़ने वाली हैं. सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को पीड़ित के पिता कर्मवीर सिंह कि याचिका पर सुनवाई के दौरान राजस्थान सरकार को कहा कि अगर अब (कोई नई धमकी) आसाराम का समर्थक गवाहों को धमकी देता है तो जमानत पर रिहा हुए उनके सहयोगी शिवा, शिल्पी, शरद और प्रकाश की जमानत रद्द करने के लिए हाई कोर्ट में अर्जी दाखिल करे.
सुप्रीम कोर्ट ने राजस्थान सरकार को फटकार लगाते हुए कहा की अगर गवाहों और जांच कर रही पुलिस को धमकी मिल रही है तो सरकार क्या कर रही है. कोर्ट ने सरकार से पूछा आपने अभी तक क्या कदम उठाये हैं. आपको लगता है की सब कुछ सही है. आप कोर्ट को हलके में न ले. आपको कोई स्टैंड लेना होगा. अगर आपके पास सबूत है तो आपने कदम क्यों नहीं उठाये. आपकी वजह से लोग सफ़र कर रहे है.
इतना ही नहीं कोर्ट ने राजस्थान सरकार को कड़ी फटकार लगाते हुए कहा कि कानून व्यस्था बरकरार रखना राज्य सरकार की जिम्मेदारी है. आप ये कह कर नहीं बच सकते कि आपने FIR दर्ज कर ली है और मामले की जाँच कर रहे है. अगर आप जाँच करने में सक्षम नहीं है, मजबूर है, बिना शक्ति है तो हमें बताये हम इस मामले की जाँच किसी दूसरी जाँच एजेंसी को दे देंगे.
सुप्रीम कोर्ट ने ये टिप्पणी पीड़ित के पिता कर्मवीर सिंह की अर्जी पर सुनवाई के दौरान की. सिंह ने अपनी अर्जी में कहा है कि आसाराम के समर्थक गवाहों और जाँच कर रहे अधिकारियों को धमकी दे रहे है.
सुप्रीम कोर्ट ने पीड़ित लड़की पिता के कर्मवीर सिंह की वकील से पूछा क्या किसी गवाह ने धमकी देने की शिकायत दर्ज कराई है. जिसपर वकील ने कहा पीड़ित लड़की के पिता ने कहा मामले की सुनवाई कर रही अदालत को उन्होंने बताया है कि गवाहों को धमकी दी जा रही है. कई गवाहों को घमकी दी जा रही है कुछ गायब है और कुछ का क़त्ल हो गया है.
जिसपर कोर्ट ने कहा कि पीड़ित के पिता के बयान चुटकी भर नमक की तरह है. क्या कोई ऐसा गवाह भी है जो धमकी कि बात को कर रहा है. जिसपर वकील ने कहा की पीड़ित के पिता को पुलिस वालों की मौजूदगी में धमकी दी गई थी लेकिन पुलिस ने कोई कारवाई नहीं की.
आसाराम इस समय 16 साल की लड़की से बलात्कार के आरोप में जेल में बंद है. 20 अगस्त 2013 से आसाराम जोधपुर के जेल में बंद है. आसाराम के ऊपर पास्को के तहत मुकदम चल रहा है.