नई दिल्ली. राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) के आदेश के बाद श्री श्री रविशंकर ने आखिरकार यमुना किनारे आयोजित आर्ट ऑफ लिविंग पर लगाए गए जुर्माने की बकाया 4.75 करोड़ की रकम ड्राफ्ट के जरिए डीडीए को अदा कर दिए हैं. बता दें कि इससे पहले रविशंकर ने यह साफ कहा था कि उन्होंने न तो किसी कानून का उलंघन किया है और न ही कुछ गलत किया है. इतना ही नहीं उन्होंने यह भी कहा था कि वो एनजीटी कि टिप्पणियों से वो सहमति नहीं रखते. इसलिए वे न्याय के लिए अंत तक लड़ाई जारी रखेंगे.
NGT ने 1 हफ्ते का दिया था वक्त
बता दें कि एनजीटी ने इस मामले की सुनवाई करते हुए आर्ट ऑफ लिविंग को शेष चार करोड़ 75 लाख की राशि एक हफ्ते के अंदर जमा करने को कहा था. साथ ही जुर्माना जमा करने में हुए देरी के लिए एनजीटी ने पांच हजार का अतिरिक्त जुर्माना भी लगाया था.
‘कानून का उलंघन नहीं किया’
आर्ट ऑफ लिविंग के मुताबिक उन्होंने न तो किसी कानून का उलंघन किया है और न ही कुछ गलत किया है. इतना ही नहीं वो एनजीटी कि टिप्पणियों से वो सहमति नहीं रखते. आर्ट ऑफ लिविंग ने इंडिया न्यूज़ से खास बातचीत में कहा कि उन्होंने हवा, पानी और यमुना के किनारे कि जमीन को प्रदूषित नहीं किया है.
‘पहले से बेहतर करके दी जगह’
आर्ट ऑफ लिविंग का कहना है कि आयोजन स्थल वाली जगह को पहले कि तुलना में बेहतर कर वापस किया है. संस्था के मुताबिक उन्होंने ये कभी नहीं कहा कि उनके पास हर्जाना देने के लिए पैसे नहीं है. संस्था का कहना है कि एओ बैंक गारंटी देने के लिए तैयार है. संस्था ने ये पेशकश एनजीटी के सामने भी कि थी लेकिन बेंच ने इसे ठुकरा दिया.
क्या है पूरा मामला ?
दरअसल 11 से 13 मार्च के बीच दिल्ली में श्रीश्री रविशंकर की संस्था आर्ट ऑफ लिविंग ने वर्ल्ड कल्चरल फेस्टिवल का आयोजन किया था. इस आयोजन से यमुना को होने वाले नुकसान के चलते एनजीटी ने संस्थाक पर पांच करोड़ रुपये का हर्जाना लगाया था. इसमें से 25 लाख रुपये पहले अदा कर दिए गए थे, लेकिन बाकी की रकम आर्ट ऑफ लिविंग ने नहीं जमा की थी. श्रीश्री की संस्था ने बैंक गारंटी के जरिए बकाया जुर्माना अदा करने का प्रस्ताव रखा था, जिसे एनजीटी ने 31 मई को ये कहते हुए खारिज कर दिया कि अब आप मुकर रहे हैं और ऐसे में आपकी मंशा पर सवाल उठता है.