नई दिल्ली. मर्सिडीज हिट एंड रन मामले में आरोपी नाबालिग को नाबालिग न मानकर उसे व्यस्क के तौर पर मुकदमा चलेगा. देश के इतिहास में पहली बार किसी नाबालिग को नाबालिग न मानकर उसे व्यस्क के तौर पर मुकदमा चलेगा. जुवेनाइल जस्टिस बोर्ड ने मामले को सेशन कोर्ट के पास भेजा है.
बोर्ड ने अपने फैसले में कहा कि वो बिना ड्राइविंग लाइसेंस के दुर्घटना के पहले से कार चला रहा था. उसपर दुर्घटना के पहले भी कई बार नियम को तोड़ने के किये जुर्माना लग चुका है. घटना के दिन वो अपने दोस्तों के मना करने के बावजूद तेजी से गाड़ी चला रहा था. दुर्घटना के बाद भी वो नहीं रुका तेजी से गाड़ी चलाकर भाग गया. नाबालिग दुर्घटना के समय जानता था की तेजी से गाड़ी चलाने से क्या हो सकता है.
दरअसल दिल्ली पुलिस ने अपनी अर्जी में कहा है कि नाबालिग ने 4 अप्रैल को सिद्धार्थ शर्मा को मर्सिडीज कार से टक्कर मारी तब उसकी उम्र 18 साल से मात्र 4 दिन ही कम थी. ऐसे में उसे नाबालिग के तौर पर नहीं, बल्कि व्यस्क के तौर पर समझा जाना चाहिए. जिससे कि मामले में पीड़ित परिवार के साथ सही न्याय हो सके.
आरोपी को इस गंभीर अपराध के लिए बाल अपराध के कानूनों का सहारा लेकर सख्त सजा से बचने नहीं दिया जाना चाहिए. इसलिए उनकी अदालत से गुजारिश है कि वह नाबालिग को व्यस्क घोषित करते हुए उसका मामला सत्र अदालत में भेज दे. वहीं, दिल्ली पुलिस की इस अर्जी पर बचाव पक्ष ने अपनी आपत्ति जाहिर की. बचाव पक्ष ने कहा कि कानून सभी के लिए एक समान है. इस तरह से किसी नाबालिग को व्यस्क नहीं घोषित किया जा सकता.
बता दें कि 4 अप्रैल को उत्तरी दिल्ली के पॉश इलाके सिविल लाइन में हिट एंड रन के मामले में 33 वर्षीय बिजनेस सलाहकार सिद्धार्थ शर्मा की मौत हो गई थी. घटना के समय पीडि़त सड़क पार कर रहा था. पुलिस ने नाबालिग को घटना के एक दिन बाद पांच अप्रैल को हिरासत में लिया था. परंतु उसे लापरवाही से मौत के मामले में जमानत दे दी गई थी.
इस मामले में पुलिस ने यूटर्न लेते हुए लापरवाही से मौत का मामला दर्ज कर लिया. जिसके बाद नाबालिग ने फिर से पुलिस के समक्ष समर्पण किया था और उसे बाल होम भेज दिया गया था. इस मामले में आरोपी घटना के चार दिन बाद ही 18 साल का हो चुका है. नाबालिग को बाल न्यायालय से 26 अप्रैल को जमानत भी मिल चुकी है.