नई दिल्ली. आर्ट ऑफ लिविंग एनजीटी के उस आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देगा जिसमें उसके द्वारा जुर्माने की राशि जमा करने में लगातार हो रही देरी पर सख्त अपनाया है. एनजीटी ने आर्ट ऑफ लिविंग को एक हफ्ते के अंदर जुर्माने की बकाया राशि 4.75 करोड़ रुपये जमा करने के आदेश दिए थे.
आर्ट ऑफ लिविंग के मुताबिक उन्होंने न तो किसी कानून का उलंघन किया है और न ही कुछ गलत किया है. इतना ही नहीं वो एनजीटी कि टिप्पणियों से वो सहमति नहीं रखते. आर्ट ऑफ लिविंग ने इंडिया न्यूज़ से खास बातचीत में कहा कि उन्होंने हवा, पानी और यमुना के किनारे कि जमीन को प्रदूषित नहीं किया है.
आर्ट ऑफ लिविंग का कहना है कि आयोजन स्थल वाली जगह को पहले कि तुलना में बेहतर कर वापस किया है. संस्था के मुताबिक उन्होंने ये कभी नहीं कहा कि उनके पास हर्जाना देने के लिए पैसे नहीं है. संस्था का कहना है कि एओ बैंक गारंटी देने के लिए तैयार है. संस्था ने ये पेशकश एनजीटी के सामने भी कि थी लेकिन बेंच ने इसे ठुकरा दिया.
दरअसल 11 से 13 मार्च के बीच दिल्ली में श्रीश्री रविशंकर की संस्था आर्ट ऑफ लिविंग ने वर्ल्ड कल्चरल फेस्टिवल का आयोजन किया था. इस आयोजन से यमुना को होने वाले नुकसान के चलते एनजीटी ने संस्था पर पांच करोड़ रुपये का हर्जाना लगाया था.
संस्था ने कार्यक्रम शुरु होने वाले दिन यानि 11 मार्च को 25 लाख रुपये की राशि जमा करने के बाद शेष राशि जमा करने के लिए और वक्त की मांग की थी.
एनजीटी ने मंगलवार को इस मामले की सुनवाई करते हुए आर्ट ऑफ लिविंग को शेष चार करोड़ 75 लाख की राशि एक हफ्ते के अंदर जमा करने को कहा था. साथ ही जुर्माना जमा करने में हुए देरी के लिए एनजीटी ने पांच हजार का अतिरिक्त जुर्माना भी लगाया था.