नई दिल्ली. सीपीसीबी के चेयरमैन अशोक मेहता को सुप्रीम कोर्ट से राहत मिल गई है. कोर्ट ने मेहता के खिलाफ गैर जमानती वारंट पर रोक लगा दी है. मेहता सोमवार को सुप्रीम कोर्ट में पेश हुए और उन्होंने अपने खिलाफ जारी जमानती आदेश पर रोक लगाने की मांग की.
सुप्रीम कोर्ट ने अशोक मेहता को 30 जून को फिर से कोर्ट में पेश होने का आदेश जारी किया है. मेहता ने कहा कि वे 30 जून को सुप्रीम कोर्ट के सामने पेश हो जाएंगे ऐसे में उनके खिलाफ जारी जमानती वारंट पर रोक लगाई जाए. दरअसल, सुप्रीम कोर्ट ने सीपीसीबी के चेयरमैन के खिलाफ कोर्ट में पेश न होने की वजह से जमानती वारंट जारी किया था.
कोर्ट ने दिया 2 लाख की फिक्स डिपॉजिट का आदेश
बता दें कि ये पूरा मामला गुजरात में खदान में सिलिकोसिस से मजदूरों की मौत को लेकर था. सुप्रीम कोर्ट ने 4 मई को गुजरात सरकार को निर्देश दिया था कि 238 सिलिकोसिस से पीड़ित मजदूरों के बच्चों को 2 लाख रुपए फिक्स डिपॉजिट एक महीने के भीतर करने को कहा था. सुप्रीम कोर्ट ने 19 फरवरी को सीपीसीबी को कहा था कि वो चार हफ्ते के भीतर जवाब दाखिल कर बताए, कि कर्टज इंडस्ट्रीज गोधरा से निकलने वाले प्रदूषण को लेकर उन्होंने क्या करवाई की है.
दाखिल की थी जनहित याचिका
सुप्रीम कोर्ट में एक जनहित याचिका में कहा गया था कि मध्य प्रदेश के आदिवासी मजदूरों को गुजरात की फैक्ट्री में काम करने के दौरान सिलिकोसिस से पीड़ित हो गए है. ऐसे में राज्य सरकार पीड़ितों को मुआवजा और पुनर्वास के लिए पैसे दे. 2010 में NHRC ने गुजरात सरकार को आदेश दिया था कि 238 पीड़ित मजदूरों को 3 लाख रुपये का मुआवजा दें.