नई दिल्ली. आमतौर पर कामयाब आदमी अपने पुराने जमाने की बात ज्यादा करता है ताकि लोग कह सकें कि ये आदमी कहां से कहां तक आ गया. इससे उसकी मेहनत और काबलियत दोनों को सर्टिफिकेट मिलता है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी बाकी प्रधानमंत्री से थोड़े अलग नहीं बल्कि बाकी प्रधानमंत्रिंयों से बहुत अलग हैं.
पीएम मोदी जो कहते हैं वो जमीनी स्तर की बातें होती हैं आम-आदमी को कहकर करते हैं. भले ही उनके विचार से आप सहमत हों या न हों. उनकी कई नीतियों से आपकी रजामंदी हो या न हो. लेकिन उनकी सोच जमीनी होती और जमीन पर ही रहती है.
मोदी का राजनीतिक सफर
1980 के दशक में जब मोदी गुजरात की बीजेपी ईकाई में शामिल हुए तो माना गया कि पार्टी को संघ के प्रभाव का सीधा फायदा होगा. वे साल 1988-89 में भारतीय जनता पार्टी की गुजरात ईकाई के महासचिव बनाए गए. नरेंद्र मोदी ने लाल कृष्ण आडवाणी की 1990 की सोमनाथ-अयोध्या रथ यात्रा के आयोजन में अहम भूमिका अदा की. इसके बाद वो भारतीय जनता पार्टी की ओर से कई राज्यों के प्रभारी बनाए गए.
मोदी को 1995 में भारतीय जनता पार्टी का राष्ट्रीय सचिव और पांच राज्यों का पार्टी प्रभारी बनाया गया. इसके बाद 1998 में उन्हें महासचिव (संगठन) बनाया गया. इस पद पर वो अक्टूबर 2001 तक रहे. लेकिन 2001 में केशुभाई पटेल को मुख्यमंत्री पद से हटाने के बाद मोदी को गुजरात की कमान सौंपी गई.
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