नई दिल्ली. एक बच्चे को माता-पिता पालते हैं और उसे वो हर चीज देते हैं जो उसके लिए जरूरी होती है. माता-पिता के इस बलिदान की कीमत बस इतनी होती है कि बच्चा उनका ऐसा ही ध्यान रखे जैसा उन्होंने उसके लिए किया था. लेकिन आजकल इसका उलट होने लगा है बच्चे उन्हें घर से निकालने में और उनके साथ बुरा करने में पीछे नहीं रहते.
पहला मामला दिल्ली के कालकाजी इलाके की है जहां एक बेटी अपनी ही मां को इस तरह पीटती है जैसे वो किसी खिलोने को पीट रही हो, पड़ोसियों के कहने पर भी वो नहीं रूकती. लेकिन उस मां ने सबके सामने अपनी बेटी को कुछ कहा तक नहीं बल्कि उसकी तारिफें कर रही थी.
दूसरा मामला उत्तर प्रदेश के बिजनौर की है जहां बहु अपनी सास की जान लेने पर तुली हुई थी. सास बहु के लिए बोझ बनी पड़ी थी और चाहती थी कि जितनी जल्दी हो सास से मुक्ति मिल जाए. इसके लिए उसने अपनी सास को गर्म करने वाली रोड़ से मारा, ईंट के टुकड़े मारा और जब उसका बस नहीं चला तो बहु ने सास का गला तक घोट डाला.
आज देश में बुजुर्गों की तादाद 11 करोड़ हैं. यूनाइटेड़ नेशन की रिपोर्ट कहती है कि 65 प्रतिशत बुजुर्ग भरण-पोषण के लिए दूसरों पर निर्भर रहते हैं. मनोचिकित्सक डॉ. संदीप वोहरा ने कहा है कि आजकल हम लोग स्वार्थी हो गए हैं, वो भूल गए हैं कि उनके मां-बाप ने किस तरह उन्हें पाला पोसा है वो अब केवल अब अपना हित देखते हैं. लेकिन सरकार की ओर से वृद्धा स्थिती से गुजर रहे लोगों के लिए कदम भी उठा रही है.
इंडिया न्यूज के खास शो ‘अर्ध सत्य‘ में मैनेजिंग एडिटर राणा यशवंत आपको बताएंगे कि कैसे बुजुर्गों को अपने बच्चों के हाथों मार खानी पड़ती है. साथ ही सरकार की ओर से इन बुजु्र्गों के लिए क्या क्या कदम उठाए जा रहे हैं.
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