नई दिल्ली. कॉमन मेडिकल एंट्रेंस टेस्ट यानी नेशनल एलिजिबिलिटी एंट्रेंस टेस्ट (NEET) से राज्यों को छूट देने वाले अध्यादेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में एक और जनहित याचिका दायर की गई है.
संकल्प ट्रस्ट ने शुक्रवार को कोर्ट में याचिका दायर कर अध्यादेश को रद्द करने की मांग की है. इसके साथ ही ट्रस्ट ने कोर्ट से यह भी अपील की है कि सुप्रीम कोर्ट राज्य व केंद्र सरकार को यह निर्देश दे कि मेडिकल एंट्रेंस के लिए नीट के तहत ही पारदर्शिता के साथ और सही तरीके से परीक्षा ली जाए.
संकल्प ट्रस्ट ने अपनी याचिका में सरकार की ओर से नीट मामले में लाए गए अध्यादेश को गैरकानूनी बताया है. इसके साथ ही इस अध्यादेश को निरस्त करने की भी मांग की गई है. दाखिल की गई याचिका में कहा गया है कि केंद्र सरकार यह अध्यादेश सुप्रीम कोर्ट के आदेश को निष्प्रभावी करने के लिए लाई है.
संकल्प ट्रस्ट का कहना है कि नीट का प्रावधान केंद्र सरकार का है और केंद्र ने ही सुप्रीमकोर्ट में नीट की तरफदारी की थी, जिसके बाद सुप्रीमकोर्ट ने आदेश दिया था और अब केंद्र ही उसके खिलाफ अध्यादेश लाई है. नीट अध्यादेश के आने के बाद से ही छात्रों में भ्रम की स्थिति बनी हुई है.
पहले भी दायर की गई थी याचिका
बता दें कि इससे पहले भी सुप्रीम कोर्ट में व्यापम घोटाले के व्हिसल ब्लोअर रहे डॉ. आनंद राय और मेडिकल छात्र संजीव शुक्ला ने नीट पर सरकार के अध्यादेश को चुनौती दी थी. इसके बाद कोर्ट ने याचिका को खारिज करते हुए अध्यादेश पर अतंरिम रोक लगाने से इनकार कर दिया था.
इसके अलावा कोर्ट ने यह भी कहा है कि यह मामला जुलाई में चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया के सामने रखा जाएगा. इस याचिका में कहा गया था कि नीट परीक्षा के लिए सरकार जो अध्यादेश लेकर आई है वह जनहित के खिलाफ है.
क्या है मामला ?
कोर्ट ने आदेश दिया था कि देश के सभी निजी और सरकारी मेडिकल कॉलेजों में एमबीबीएस और बीडीएस में प्रवेश के लिए एक कॉमन टेस्ट यानी नेशनल एलिजिबिलिटी एंट्रेंस टेस्ट (NEET) इसी वर्ष से लागू किया जाएगा.
इसके बाद राज्य के बोर्ड अलग से कोई परीक्षा नहीं आयोजित कर सकेंगे. इस फैसले को एक साल तक रोकने के लिए केंद्र सरकार एक अध्यादेश लाई थी, जिसे मंगलवार को राष्ट्रपति की भी मंजूरी मिल गई थी. संकल्प ट्रस्ट इसी अध्यादेश का विरोध कर रहा है.