नई दिल्ली. सुप्रीम कोर्ट ने आज उस याचिका को खारिज कर दिया जिसमें महाराष्ट्र में शराब फैक्ट्रियों को जलापूर्ति बंद करने की मांग की गई थी. सुप्रीम कोर्ट ने कहा ‘बॉम्बे हाईकोर्ट पहले ही अंतरिम राहत दे चुका है. अब आप क्या चाहते है कि पूरी 100 फ़ीसदी कटौती की जाये. सुप्रीम कोर्ट ने कहा ये पालिसी मैटर इसे राज्य सरकार या जिला प्रशासन तय करे. कोर्ट ने कहा कि मामला बॉम्बे हाई कोर्ट की औरंगाबाद बेंच में लंबित है ऐसे में सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाने के बदले आप हाई कोर्ट जाये.
बता दें कि बांबे हाई कोर्ट की औरंगाबाद पीठ ने गत 24 अप्रैल को राज्य सरकार को महाराष्ट्र में शराब फैक्ट्रियों को दिए जा रहे पानी में 60 फीसदी की कटौती का आदेश दिया था. हाई कोर्ट ने कहा था कि यह कटौती 10 मई से शुरू होकर 27 मई तक जारी रहेगी.
कोर्ट ने समाजसेवी संजय काले की जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए यह आदेश दिया था. लेकिन संजय काले ने हाई कोर्ट के इस आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दे दी है. उनका कहना था कि उन्होंने शराब फैक्ट्रियों को पानी की सप्लाई पर पूर्ण प्रतिबंध की मांग की थी.
सुप्रीम कोर्ट में दायर की गई याचिका में हाई कोर्ट के आदेश का विरोध करते हुए कहा गया था कि शराब फैक्ट्रियों को पानी सप्लाई पर पूरी तरह रोक लगाई जानी चाहिए. हाई कोर्ट ने सिर्फ 60 फीसद सप्लाई में कटौती का आदेश दिया है. हाई कोर्ट ने अपने आदेश में कहा था कि संतुलन बनाना होगा. इंडस्ट्री भी चलनी चाहिए.
सुप्रीम कोर्ट में याचिकाकर्ता की ओर से दाखिल अर्जी में कहा गया था कि पानी की सप्लाई पूरी तरह से बैन किया जाए क्योंकि राज्य में लोग सूखा से जूझ रहे हैं और पानी की जबर्दस्त किल्लत है. इससे पहले याचिकाकर्ता के वकील ने कोर्ट के सामने ये मुद्दा उठाया और कहा कि शराब फैक्ट्रियों में पानी की सप्लाई पूरी तरह से बैन किया जाना जरूरी है क्योंकि पूरे इलाके में जबर्दस्त पानी की किल्लत से लोग जूझ रहे हैं.
याचिकाकर्ता ने कहा कि लोग पानी की कमी के कारण लोगों का जीवन दाव पर लग गया है. स्टॉक में लिमिटेड पानी है. अगर शराब फैक्ट्रियों को पानी दिया जाता है तो इससे लोग पानी से वंचित रह जाएंगे. गौरतलब है कि पहले बॉम्बे हाई कोर्ट ने निर्देश दिया था सरकार इंडस्ट्रियल यूनिट को पानी की सप्लाई में 25 फीसदी की कटौती करे.